मुंबई: बीजेपी नेता पंकजा मुंडे क्या पार्टी को अलविदा कहने वाली हैं? उनके बयानों से इस सवाल को हवा मिल रही है. दरअसल आज उन्होंने कहा कि मैं अपने ऊपर लगे आरोपों से व्यथित हूं. मैं अब 12 दिसंबर को बोलूंगी, अभी और कुछ नहीं कहना चाहती. देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री रहीं पंकजा से उनके फेसबुक पोस्ट के बारे में पूछा गया था.


पंकजा मुंडे ने आज कहा, ''मैं पार्टी (बीजेपी) की ईमानदार कार्यकर्ता रही हूं, मैंने पार्टी के लिए काम किया है. मैं अपने ऊपर लगे आरोपों से व्यथित हूं. मैं अब 12 दिसंबर को बोलूंगी, अभी और कुछ नहीं कहना चाहती.'' उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में भावी यात्रा का जिक्र किया था और कहा था कि 12 दिसंबर को आगे के फैसले के बारे में बात करेंगी.


पंकजा मुंडे को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने चचरे भाई और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने पिछले दिनों एक फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा था, ‘‘राज्य में बदले राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह सोचने और निर्णय लेने की आवश्यकता है कि आगे क्या किया जाए. मुझे स्वयं से बात करने के लिए आठ से 10 दिन की आवश्यकता है. मौजूदा राजनीतिक बदलावों की पृष्ठभूमि में भावी यात्रा पर फैसला किए जाने की आवश्यकता है.’’


क्या बीजेपी में भूचाल लाने की तैयारी कर रहीं हैं पंकजा मुंडे ?


उन्होंने कहा, ‘‘अब क्या करना है? कौन सा मार्ग चुनना है? हम लोगों को क्या दे सकते हैं? हमारी ताकत क्या है? लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं? मैं इन सभी पहलुओं पर विचार करूंगी और आपके सामने 12 दिसंबर को आऊंगी.’’ मुंडे ने लिखा कि उन्होंने चुनाव में मिली हार स्वीकार कर ली है और वह आगे बढ़ गई हैं.


उन्होंने सोमवार को अपने ट्विटर बायो से ‘बीजेपी’ और अपने राजनीतिक सफर का विवरण हटाकर अटकलों को और बल दे दिया था. महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन से पहले वह प्रदेश भाजपा इकाई की सभी कोर कमिटी बैठकों में उपस्थित रहीं थी. शिवसेना नेता संजय राउत ने भी दावा किया था कि कई नेता उद्धव ठाकरे नीत पार्टी में शामिल होने के इच्छुक हैं.


हालांकि बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने राउत के दावे को सोमवार को खारिज किया. मुंडे के पिता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे ने महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का समर्थन हासिल करने में बीजेपी की मदद की थी. बीजेपी के एक नेता ने कहा, “अगर मुंडे भाजपा छोड़ती हैं, तो ओबीसी कार्यकर्ताओं का एक धड़ा भी पार्टी से छिटक जाएगा.”