Param Bir Singh Case: मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के ऊपर महाराष्ट्र पुलिस की ओर से दर्ज सभी मुकदमों को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया है. पुलिस से एक हफ्ते में रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि पूर्व पुलिस कमिश्नर और पूर्व गृह मंत्री ने एक-दूसरे पर जिस तरह के आरोप लगाए हैं, उनसे व्यवस्था में लोगों के भरोसे को चोट पहुंची है. सच सामने आना ज़रूरी है.


जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच ने परमबीर सिंह की याचिका पर आदेश देते हुए यह भी कहा है कि फिलहाल परमबीर का निलंबन बरकरार रहेगा. उनके खिलाफ अगर भविष्य में कोई और एफआईआर दर्ज होती है, तो वह भी सीबीआई को ट्रांसफर होगी.


क्या है मामला?
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पिछले साल राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने गृह मंत्री रहते पुलिस को डांस बार और होटल मालिकों से 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह उगाही के लिए कहा था. 5 अप्रैल 2021 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई को मामले की प्राथमिक जांच का आदेश दे दिया. इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. मामले में देशमुख को पद गंवाना पड़ा और उनकी गिरफ्तारी भी हुई.


इस बीच परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह कहा कि उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने पद पर रहते हुए जिन पुलिस अधिकारियों को गलत और भ्रष्ट आचरण के लिए दंडित किया, उन्हीं को शिकायतकर्ता बनाकर उनके खिलाफ एक के बाद एक 6 मुकदमे दर्ज कर लिए गए हैं. परमबीर ने इन मामलों को रद्द करने या सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग की.


आज क्या हुआ?
महाराष्ट्र सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील डारियस खंबाटा ने परमबीर की याचिका का जोरदार विरोध किया. उन्होंने कहा कि जांच सीबीआई को सौंपने से पुलिस के मनोबल पर असर पड़ेगा. परमबीर खुद को व्हिसलब्लोअर (भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाला) बना कर पेश कर रहे हैं, लेकिन यह सही नहीं है. उन पर खुद गंभीर आरोप हैं.


जजों ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि अगर जांच सीबीआई को सौंपने से पुलिस के मनोबल पर असर पड़ता है, तो कोई भी जांच सीबीआई को दी ही नहीं सकती. कोर्ट परमबीर को व्हिसलब्लोअर की तरह नहीं देख रहा. उसे सिर्फ व्यवस्था में लोगों के विश्वास की चिंता है, जिसे इस आरोप-प्रत्यारोप से चोट पहुंची है.


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