मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह SC पहुंचे, गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ CBI जांच की मांग
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह अपने तबादले के आदेश को रद्द करने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर अवैध उगाही का सनसनीखेज आरोप लगाने वाले आईपीएस परमबीर सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने देशमुख पर अपने आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने खुद को पुलिस कमिश्नर के पद पर ट्रांसफर किए जाने की अधिसूचना पर रोक की भी मांग की है.
परमबीर ने आरोप लगाया था कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक रखने के लिए गिरफ्तार पुलिस अधिकारी सचिन वाजे सीधा गृह मंत्री देशमुख के संपर्क में था. उन्होंने कहा था कि देशमुख ने फरवरी में अपने घर पर क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के एपीआई वाजे और एसीपी संजय पाटिल से मीटिंग की. उनसे हर महीने 100 खरीद रुपए की उगाही करने को कहा.
महा विकास अघाड़ी के नेता ऐसी किसी बैठक से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में यह मांग भी की है कि अनिल देशमुख के घर का सीसीटीवी फुटेज ज़ब्त किया जाए.
याचिका में दावा किया गया है कि अनिल देशमुख गृह मंत्री के पद पर रहते लगातार अवैध गतिविधियों में लिप्त थे. पिछले साल अगस्त में एक फोन इंटरसेप्ट के ज़रिए स्टेट इंटेलिजेंस की कमिश्नर रश्मि शुक्ला को पता चला कि देशमुख ट्रांसफर/पोस्टिंग में भ्रष्टाचार कर रहे हैं. उन्होंने डीजीपी और गृह विभाग के एडिशनल सेक्रेट्री को यह जानकारी दी. बाद में उन्हें पद से अलग कर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया.
परमबीर सिंह ने कहा है कि उन्होंने अनिल देशमुख के जूनियर पुलिस अधिकारियों से सीधे मिलने और उनसे वसूली के लिए कहने की जानकारी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और दूसरे वरिष्ठ नेताओं को दी थी. इसके तुरंत बाद उन्हें पुलिस कमिश्नर पद से हटा कर डीजी होमगार्ड के पद पर भेज दिया गया. उनके ट्रांसफर का एंटीलिया विस्फोटक मामले से कोई सीधा संबंध नहीं है. उनका ट्रांसफर सच बोलने की वजह से किया गया है. इस ट्रांसफर पर रोक लगनी चाहिए. उन्हें पुलिस कमिश्नर के पद पर 2 साल का कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया गया. ऐसा करना 2013 में टीएसआर सुब्रमण्यम मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है.
आज ही दाखिल हुई याचिका में कहा गया है कि अगर मामले की जांच राज्य सरकार पर नहीं छोड़ी जानी चाहिए. गृह मंत्री के पद पर बैठे अनिल देशमुख जांच को प्रभावित करेंगे. मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए जांच सीबीआई को सौंपना बहुत ज़रूरी है. बताया जा रहा है कि पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी इस मामले में याचिकाकर्ता के लिए पेश हो सकते हैं.
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