मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला कर बुधवार को उनकी जगह महाराष्ट्र सरकार ने हेमंत नगराले को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है. इससे एक दिन पहले परमबीर सिंह ने मंगलवार की रात राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने और इस मामले में असिस्टेंड पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बीच महाराष्ट्र पुलिस में यह अहम कदम माना जा रहा है. आइये बताते हैं कौन हैं मुंबई के नए पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले और क्यों सरकार ने उन्हें यह जम्मेवारी सौंपी है?


कौन हैं हेमंत नगराले?


हेमंत नगराले को पुलिस महकमे का लंबा अनुभव है. 1987 बैच के महाराष्ट्र कैडर के वह आईपीएस ऑफिसर नगराले ने छठी तक की पढ़ाई चांदीपुर जिले से भद्रवती से की थी. इसके बाद उन्होंने नागपुर से पटवर्धन हाइस्कूल से आगे की पढ़ाई की. उन्होंने बी.ई. मैकेनिकल की पढ़ाई वीआरसीई नागपुर से की और इसके बीद मुंबई से मास्टर ऑफ फाइनेंस किया था. नगराले को उनकी बेहतरीन सेवा के लिए कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. उन्हें प्रसिडेंट पुलिस मेडल, विशेष सेवा पदक और आंतरिक सुरक्ष पदक से नवाजा जा चुका है.


हेमंत नगराले को पहले एसाइनमेंट (1989-92) के दौरान नक्सल प्रभावित जिला चांदीपुर में राजौरा एएसपी के तौर पर तैनात किया गया था. सोलापुर में नए कमिश्नरेट के बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही. उन्होंने साल 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद हुए साम्प्रदायिक दंगे के दौरान सोलापुर सिटी को सफलतापूर्वक नियंत्रित रखा.


कई अहम पदों पर नगराले ने निभाई जिम्मेदारी


उनके सुपरिटेंड ऑफ पुलिस रहते हुए रत्नागिरी जिले में (1994-96) के दौरान एनरॉन/दाभोल पॉवर कॉर्पोरेशन को पेशेवर तरीके से हैंडल किया गया. उसके बाद साल एसपी, सीआईडी, क्राइम (1996-1998) उन्होंने एमपीएससी पेपर लीक केस की जांच की, जो महाराष्ट्र के कई हिस्सों में फैल चुका था.


हेमंत नगराले ने कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. उन्हें डेप्यूटेशन पर सीबीआई (मार्च 1998 से सितंबर 2002 के दौरान) एसपी, बीएसएफसी, सीबीआई, मुंबई और उसके बाद डीआईजी, सीबीआई नई दिल्ली में किया. उन्होंने कई जांच की निगरानी और उन्हें पूरा किया, जैसे 130 करोड़ का बैंक ऑफ इंडिया केस केतन पारेख स्कैम, माधवपुरा को-ऑपरेटिव बैंक स्कैं (1800 करोड़) और हर्षद मेहत केस 2001 (400 करोड़).


26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले का का वह अहम गवाह रहे हैं. जिस वक्त मुंबई में हमला हुआ वे एमएसईडीसीएल में डेप्यूटेशन पर थे, उसके बावजूद वह अपने घर से निकलकर मदद करने निकले और घायलों व मृतकों को अस्पताल शिफ्ट कराया.


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