पाकिस्तान ने करगिल युद्ध के दौरान जब सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण तोलोलिंग की चोटी पर अपना कब्जा कर लिया था, उस वक्त भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी यहां से दुश्मनों को मार भगाना. लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं था. अधिक ऊंचाई पर होने की वजह से दुश्मन ऊपर से गोलियां बरसा रहे थे तो वहीं भारतीय जांबाजों को दुर्गम रास्तों से होते हुए ऊपर की चढ़ाई चढ़ने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में तोलोलिंग की चोटी पर अपना कब्जा जमाना भारतीय सेना का पहला लक्ष्य था.


कमान अधिकारी ने 2 राजपुताना राष्ट्रीय रायफल्स के विवेक गुप्ता को तोलोलिंग की पहाड़ियों से दुश्मनों को भगाकर वहां पर अपना नियंत्रण कब्जा करना का आदेश दिया. लेकिन, इस आदेश पर अमल करना इतना आसान नहीं था.


खतरनाक चढ़ाई के नेतृत्व मेजर विवेक गुप्ता ने किया


मेजर विवेक गुप्ता पाकिस्तानी घुसपैठिए के खिलाफ चढ़ाई का नेतृत्व कर रहे थे. 12 जून की रात को उनके नेतृत्व में तोलोलिंग की चोटी पर अपना नियंत्रण करने के लिए टीम रवाना हुई थी. मेजर विवेक गुप्ता से जब दुश्मनों का सामना हुआ उस समय उन्होंने अदम्य वीरता और साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों को धूल चटा दी.  


हालांकि, अधिक ऊंचाई पर दुश्मनों के होने की वजह से मेजर विवेक गुप्ता को 2 गोलियां लगी. लेकिन वे हार ना मानते हुए तीन दुश्मनों को ढेर कर बंकर पर अपना कब्जा जमा लिया और वहां पर तिरंगा झंडा फहराया. अंतिम सांस तक मेजर गुप्ता दुश्मनों से लड़ते रहे और गंभीर रूप से घायल होने के बाद वह देश की रक्षा की खातिर 13 जून को शहीद हो गए. उन्हें उनके इस शौर्य के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.  




शहीद मेजर गुप्ता की तस्वीर देख कपिलदेव के छलके आंसू


जिस वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान के बाच करगिल की लड़ाई हुई थी उसी समय क्रिकेट वर्ल्ड कप हो रहा था. उस समय तमाम देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में एक ऐसे शहीद जवान की फोटो छपी थी, जिसे देखकर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव भी अपने आंसू को नहीं रोक पाए थे. इसके बाद कपिलदेव ने गुस्से में भारत सरकार से कहा था कि पाकिस्तान से क्रिकेट खेल बंद करने को कहा था. कपिलदेव ने सरकार से कहा था कि पाकिस्तान से खेल की ऐसी कमाई का पैसा नहीं चाहिए.


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