परमवीर: 22 साल पहले भारतीय योद्धाओं के सामने पाकिस्तान ने ऐसे टेके थे घुटने, जानें वीरता की कहानी
शिमला समझौते के तहत दोनों ही देश ठंड के समय अग्रिम चौकियों से अपने जवानों को हटा लेते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इस शिमला समझौते का गलत फायदा उठाते हुए भारत के पीठ में छूरा घोंपने का काम किया था.
पाकिस्तानी घुसपैठिए ने 22 साल पहले दुस्साहस करते हुए करगिल की पहाड़ियों पर अपना कब्जा जमा लिया था. इसके बाद भारतीय सेना ने उनके खिलाफ ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया. यह ऑपरेशन विजय 8 मई 1999 से लेकर 26 जुलाई 1999 तक यानी 60 दिनों तक चली थी और दुर्गम रास्तों की वजह से इस युद्ध के दौरान 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे और 1300 से ज्यादा घायल हुए थे. करगिल की इस लड़ाई को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था.
दरअसल, शिमला समझौते के तहत दोनों ही देश ठंड के समय अग्रिम चौकियों से अपने जवानों को हटा लेते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इस शिमला समझौते का गलत फायदा उठाते हुए भारत के पीठ में छूरा घोंपने का काम किया और उसके इलाकों पर कब्जा कर लिया. इसका पता लगने के बाद भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की और अस युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाते हुए दोबारा करगिल पर अपना नियंत्रण पाया. लेकिन यह सबकुछ भारतीय जवानों की अद्भूत वीरता की वजह से ही हो पाया. इन्हीं वीर जवानों में से एक थे कैप्टन विक्रम बत्रा.
कैप्टन विक्रम बत्रा (13 जेएंडके रायफल्स)
करगिल की लड़ाई में कैप्टन विक्रम बत्रा ने वीरता की ऐसी मिसाल पेश की, जिसका लोहा पाकिस्तान ने भी माना और उन्हें ‘शेरशाह’ के नाम से नवाजा था. हिमाचलप्रदेश के छोटे से कस्बे पालमपुर के 13 जम्मू एंड कश्मीर रायफल के कैप्टन विक्रम बत्रा ने एक सॉफ्ट ड्रिंक विज्ञापन ‘ये दिल मांगे मोर’ विज्ञापन की टैगलाइन को बदलकर खुद को अमर कर लिया. राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल पर दिखाया गया कि किस तरह करगिल युद्ध में अपने पहले ही वीरतापूर्ण कारनामों में उन्होंने दुश्मन की मशीनगन को छीनकर जंग के मैदान में वीरता का परिचय दिया था.
वह 1999 की करगिल लड़ाई में 24 साल की उम्रम में पाकिस्तान फौज से लड़ते हुए शहरीद हो गए. उन्हें उनके अदम्य साहस और बलिदान के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. इनके इस शौर्य की वजह से कैप्टन विक्रम को कई नाम दिए गए. उन्हें ‘टाइगर ऑफ द्रास;, ‘लायन ऑफ करगिल’ कहा गया. जबकि पाकिस्तान ने कैप्टन बत्रा को शेरशाह कहा.
I am Capt Vikram Batra! Durge Mata ki Jai. Everything you want is on the other side of fear! If you didn't get goosebumps watching this you are probably dead! Story, Narration & Creation by @MajorAkhill pic.twitter.com/GOPnGD3p30
— PRO Udhampur, Ministry of Defence (@proudhampur) July 7, 2020
मोर्चे पर डटे इस वीर जवान ने अकेले ही कई दुश्मनों को ढेर कर दिया था. सामने से होती भीषण गोलीबारी में घायल होने के बावजूद विक्रम बत्रा ने अपनी डेल्टा टुकड़ी के साथ चोटी नंबर 4875 पर हमला किया, लेकिन अपने एक घायल साथी अधिकारी को जंग के मैदान से निकालने के प्रयास में माँ भारती का यह सपूत विक्रम बत्रा 7 जुलाई की सुबह शहीद हो गया.