कोरोना वायरस के खतरे से घर में कैद हुआ बचपन, बच्चों को घर से बाहर नहीं भेज रहे पेरेंट्स
दिल्ली में पार्क खाली पड़े हैं. छुट्टियां होते ही जहां सुबह-शाम बच्चे पार्कों में खेलते नजर आते थे, तो वहीं अब पार्क खाली हैं. बच्चे हर वक्त घर में ही रह रहे हैं, जिस वजह से पेरेंट्स के लिए बच्चों को संभालना काफी मुश्किल हो रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. स्कूल-कॉलेज बंद हैं. कोरोना वायरस को देखते हुए स्कूल बंद होने के बावजूद पेरेंट्स बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दे रहे हैं. मार्च में बच्चों के एग्जाम के बाद ज्यादातर पेरेंट्स बच्चों को वेकेशन पर ले जाते थे, लेकिन जिस तरह से कोरोना वायरस का खतरा पूरे देश में फैला है, उसे देखते हुए पैरंट्स ने वेकेशन तो दूर, बच्चों का घर से निकलना ही बंद कर दिया है.
दिल्ली में पार्क खाली पड़े हैं. छुट्टियां होते ही जहां सुबह-शाम बच्चे पार्कों में खेलते नजर आते थे, तो वहीं अब पार्क खाली हैं. बच्चे तो क्या बड़े भी मॉर्निंग और ईवनिंग वॉक के लिए पार्क में नजर नहीं आ रहे हैं.
जब हम साउथ दिल्ली इलाके के एक पार्क में पहुंचे, तो देखा कि वहां पूरा पार्क खाली है. पूरे पार्क में 3- 4 लोग ही थे. कुछ देर बाद एक महिला अपनी दो पोतियों को लेकर पार्क में आईं. उन्होंने बताया के कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए बच्चे घर में ही हैं. बच्चों को बाहर नहीं लेकर जा रहे हैं. आज काफी दिन बाद हम बच्चों को बाहर लेकर आए हैं.
बच्चे हर वक्त घर में ही रह रहे हैं, जिस वजह से पेरेंट्स के लिए बच्चों को संभालना काफी मुश्किल हो रहा है. साथ ही पेरेंट्स कोरोना से बचाव के लिए भी बच्चों को शिक्षित कर रहे रहे हैं.
विधि रस्तोगी 4 साल की बच्ची आद्या की मां हैं. बच्ची के एग्जाम हैं, हमने स्कूल से गुज़ारिश की है कि बच्ची के एग्जाम बाद में लिए जाएं. मेरी बच्ची को मॉल जाना पसंद है. उसको मॉल नहीं लेकर जा पा रहे हैं. बच्चों को घर पर बता रहे हैं कि हाथ बार बार धोना है. बच्चों को टैकल करना हमारे लिए भी मुश्किल है."
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