नई दिल्ली: बॉलीवुड कलाकार और बीजेपी नेता परेश रावल ने एक ट्वीट के जरिए सबको अचंभित कर दिया है. आम तौर पर दक्षिणपंथियों का साथ देने वाले परेश रावल ने इस बार चर्चा में आए संस्कृत के मुस्लिम प्रोफेसर का साथ दिया है. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत प्रोफेसर फिरोज खान का समर्थन किया है. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा,”प्रोफेसर फिरोज खान के खिलाफ किये जा रहे विरोध से हैरान हूं. धर्म का भाषा से क्या वास्ता ? विडंबना है कि फिरोज खान ने संस्कृत से एमए और पीएचडी किया है. भगवान के वास्ते इस मूर्खता को रोको.”


इससे पहले भी ट्वीट के जरिए परेश रावल ने फिरोज खान के विरोधियों को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने कहा था,”अगर किसी मुसलमान के संस्कृत पढ़ने का विरोध हो रहा है तब तो गायक मुहम्मद रफी को भजन नहीं गाना चाहिए था. नौशाद साहब को म्यूजिक कंपोज नहीं करनी चाहिए थी.”


बीजेपी से जुड़ने के बाद एक अलग तरह की बनी थी छवि


दरअसल हम परेश रावल की चर्चा यहां क्यों कर रहे हैं ? ये वही परेश रावल हैं जिन्होंने 2014 में गुजरात से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता था और तभी से अभिनेता से नेता बने परेश रावल की बयानबाजी चर्चा में आने लगी. कई बार उनके ट्वीट और बयानबाजी को सत्ता के समर्थन में माना गया.


इसकी बानगी देखिए. 2017 में हैदराबाद के निजाम पर निशाना साधते परेश रावल ने राजवाडों की तुलना बंदरों से कर दी. राजपूत समाज की तरफ से विरोध होने पर उन्हें माफी मांगनी पड़ी. मुंबई ताज हमले में शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को बेंगलुरु से बताया. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार की तरफ से 21 बंदूकों की सलामी नहीं देने पर निशाना साधा. जबकि सच्चाई यही है कि उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ बेंगलुरू में अंतिम संस्कार किया गया था. राज्य सरकार की तरफ से उनके सम्मान में 21 तोपों की सलामी भी दी गई थी. उस वक्त परेश रावल ने ऐसा ट्वीट कर खुद अपनी किरकरी करवा ली. परेश भूल गये कि उस वक्त कर्नाटक में येदुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार थी. परेश रावल मशहूर लेखिका अरंधुति राय पर विवादित ट्वीट कर चुके हैं. मामला सामने आने के बाद उन्हें ट्ववीट डिलीट करना पड़ा था.