Parkash Singh Badal Death: 1996 में दिया पंजाबी और पंजाबियत का नारा, कुछ ऐसा था 5 बार सीएम रहे प्रकाश सिंह बादल का अंदाज
Parkash Singh Badal Dies: प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के सीएम रहे. मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तमाम बड़े नेताओं ने दुख जताया है.
Parkash Singh Badal Dies: 95 साल के सरदार प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) नहीं रहे. पंजाब (Punjab) के पांच बार के मुख्यमंत्री, सात दशकों से अधिक समय तक राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक विशाल व्यक्ति की तरह चलने वाले बादल का मंगलवार (25 अप्रैल) को निधन हो गया.
यह पंजाब की राजनीति में एक युग का अंत है. शिरोमणि अकाली दल ने अपना वास्तुकार खो दिया है और राज्य ने अपना महान कॉर्डिनेटर. देश ने एक ऐसा नेता खो दिया जो अलग-अलग विचारधाराओं के साथ पुल बनाने में विश्वास करते थे, ताकि इसे शांति के रास्ते पर रखा जा सके.
आंदोलनों को लेकर गए थे जेल
राजनीति में बादल की यात्रा स्वतंत्र भारत के साथ शुरू हुई, जब उन्हें 20 साल की उम्र में सरपंच के रूप में चुना गया. 1980 के दशक में लंबे उग्रवाद तक उन्होंने बहुत कुछ झेला. वह विभिन्न मोर्चों (आंदोलनों) के लिए जेल तक गए. संघवाद का कट्टर पक्षधर होने के बावजूद, उन्होंने कभी भी राज्य में उग्रवाद की चरम सीमा के दौरान भी भारत विरोधी रुख नहीं अपनाया.
अकाली दल को पंजाबी पार्टी में बदला
बादल ने शिरोमणि अकाली दल को भी पंथिक से पंजाबी पार्टी में बदलने का काम किया था, जब 1996 के मोगा घोषणापत्र में उन्होंने पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का नारा दिया था. इसके बाद पार्टी ने बड़ी संख्या में हिंदू उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. उन्हें 2007 और 2012 में पार्टी की लगातार दो जीत का श्रेय दिया गया, जो राज्य के चुनावी इतिहास में अभूतपूर्व था.
हमेशा रहे चौटाला परिवार के करीब
हालांकि, वह कभी अपनी सफलताओं को लोगों के सामने रखने से भी पीछे नहीं हटे हैं. एक पत्रकार ने बताया कि वह हमेशा कहते थे कि "अस्सी किसी तारां घुसरू डबरू करके सरकार बना लेंदे हैं". मतलब हम किसी भी तरह अपनी सरकार बना ही लेते हैं. वह दिवंगत डिप्टी पीएम चौधरी देवी लाल के 'पग-वट' भाई थे और अंत तक चौटाला परिवार के करीब रहे.
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