रविशंकर प्रसाद का विपक्ष पर निशाना, कहा- राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार दुर्भाग्यपूर्ण
Parliament Budget Session 2021: राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया.
नई दिल्लीः राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ बजट सत्र की शुरुआत हो गई. किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के भाषण का बहिष्कार किया. विपक्षी दलों की ओर से किए गए बहिष्कार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया. रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि उनके अभिभाषण का बहिष्कार किया गया. कांग्रेस के एक सदस्य ने अंदर आकर नारे लगाए. आम आदमी पार्टी के सांसदों ने व्यवधान डालने की कोशिश की. यह अस्वस्थ परम्परा है.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''संसदीय परम्परा के अनुसार बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से हुई. राष्ट्रपति देश के संवैधानिक मुखिया हैं और उनका राजनीतिक विरोध समझ से परे हैं.'' रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''कांग्रेस ने अपने कार्यकाल के दौरान इन्हीं कृषि सुधारों को लागू करने का प्रयास किया. उन्हें सही मानते हुए हमनें लागू किया. साथ ही किसानों के हित के लिए क़ई कदम उठाए.''
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अपने अहंकार में कांग्रेस अब इस बिल का विरोध कर रही है क्योंकि देश मे बीजेपी की सरकार है. कांग्रेस को घेरते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तो लालकिले पर हुई घटना की अब तक कोई मुखर निंदा नहीं की है.
18 विपक्षी दलों का बहिष्कार
बता दें कि कांग्रेस समेत देश के 18 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यह जानकारी दी. विपक्षी दलों द्वारा संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार के फैसले को केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
विपक्षी दलों के नेताओं के बयान में कहा गया है कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम), आम आदमी पार्टी और एआईयूडीएफ ने संयुक्त रूप से यह फैसला किया है. 18 विपक्षी दलों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की जांच कराने की भी मांग की है.