Parliament Budget Session: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार (13 मार्च) को शुरू हुआ, लेकिन हंगामें की भेंट चढ़ गया. इसका कारण  विदेश में दिया गया राहुल गांधी का बयान है. वहीं विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर अडानी मुद्दे पर सरकार को घेरा. बीजेपी सांसदों ने राहुल गांधी से सदन में आकर माफी मांगने की मांग की.


उधर विपक्षी दलों ने भी बैठक कर ये फैसला किया कि अडानी मसले पर जेपीसी जांच की मांग और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के मुद्दे पर सरकार को घेरा जाएगा. इस पर विपक्ष ने हंगामा भी किया. इस बीच कांग्रेस ने साफ कर दिया कि राहुल माफी नहीं मांगेंगे.


सूत्रों ने क्या कहा?
हालांकि संसद में माइक बंद करने और सांसदों को नहीं बोलने देने वाले बयान पर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को ज़्यादा समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है. इसकी बानगी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में देखने को मिली.


संसद में बोलने का मौका नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और डीएमके के  टीआर बालू ने मीटिंग का बहिष्कार कर वॉक आउट कर दिया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर बैठक में मौजूद जेडीयू और अन्य विपक्षी दलों ने इस आरोप का समर्थन नहीं किया. 


केंद्र सरकार ने क्या कहा? 
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘‘उन्होंने (राहुल ने) संसद में बहुत कुछ बोला है, लेकिन लंदन में उन्होंने कहा कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी जाती है और माइक बंद कर दिया जाता है. मुझे लगता है कि यह लोकतंत्र पर हमला है. ये लोकसभा और देश का अपमान है.’’


अडानी मुद्दे को लेकर बजट सत्र में मोदी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. ऐसे में राहुल गांधी के बयान के रूप में उसे विपक्ष पर पलटवार करने का मौका मिल गया है. सरकार के तेवर से साफ है कि वह फिलहाल इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठने वाली और कांग्रेस पर दबाव बनाकर रखना चाहती है.  


मामला क्या है? 
पिछले सप्ताह राहुल गांधी ने ब्रिटिश सांसदों से कहा था कि भारत की लोकसभा में विपक्ष के लिए माइक अकसर ‘खामोश’ करा दिए जाते हैं. राहुल ने हाउस ऑफ कॉमन्स परिसर में स्थित ग्रैंड कमेटी रूम में विपक्षी दल लेबर पार्टी के भारतीय मूल के सांसद वीरेंद्र शर्मा के आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की थी. 


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