Parliament Uproar: संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग हंगामे की भेंट चढ़ता दिख रहा है. सरकार और विपक्ष में लगातार तनातनी का महौल बना हुआ है. एक तरफ जहां सरकार कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की विदेश वाली टिप्पणी को लेकर माफी की मांग पर अड़ी हुई है तो वहीं विपक्ष अडानी के मामले में जेपीसी जांच को लेकर झुकने को तैयार नहीं है. ऐसे में मंगलवार (21 मार्च) को भी संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामे के बाद कार्यवाही एक दिन के लिए स्थगित कर दी गई. अब सदन गुरुवार (23 मार्च) को फिर से शुरू होगा.


13 मार्च से शुरू हुए संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्ष और सत्ता पक्ष के हंगामे के कारण लगातार 6 कामकाजी दिनों तक लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल की कार्यवाही बाधित रही और कोई अन्य महत्वपूर्ण विधायी काम नहीं हो सका. आइए जानते हैं 10 बड़ी बातें-


1- कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के सदस्यों ने अडानी वाले मुद्दे को उठाया और "हमें जेपीसी चाहिए" जैसे नारे लगाए. हालांकि, अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए बजट पारित कराने में कामयाब रहे. सदन को स्थगित करने से पहले, अग्रवाल ने सांसदों को विभिन्न त्योहारों की शुभकामनाएं दीं और कहा कि त्योहार में भाग लेने के लिए कई सदस्यों के अनुरोध पर, सदन में बुधवार को बैठक नहीं होगी और इसके बजाय 23 मार्च को बैठक होगी.






2- कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अडानी समूह के मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग करते हुए मंगलवार (21 मार्च) को संसद भवन की पहली मंजिल के गलियारे में प्रदर्शन किया.


3- विपक्षी सदस्य दोनों सदनों की बैठक अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित होने के बाद संसद के प्रथम तल के गलियारे में जमा हुए और ‘वी वांट जेपीसी’ के नारे लगाए. वे गलियारे से ही नीचे की ओर से बड़ा बैनर प्रदर्शित कर रहे थे जिस पर ‘वी वांट जेपीसी (हमें जेपीसी चाहिए)’ लिखा हुआ था.


3- वहीं, तृणमूल कांग्रेस के कई सांसदों ने दिल्ली के विजय चौक पर केंद्र के खिलाफ अपने प्रदर्शन में अडानी मामले को जोरशोर से उठाया. उन्होंने कारोबारी गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांग की, साथ ही कहा कि जीवन बीमा निगम और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सुरक्षा दी जाए.


4- इसको लेकर सरकार के मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सदन के सदस्य चिंतित हैं कि युवाओं में किस तरह का संदेश जा रहा है. उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि विपक्ष ने एक बार फिर सदन का अपमान किया है. उनके पास सुर्खियों में बने रहने का कोई आधार नहीं है.”






5- उन्होंने कहा कि सदन के सभापति ने बैठक बुलाई थी लेकिन विपक्ष के नेताओं ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया. जब सभापति ने आज संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए विवाद को सुलझाने की कोशिश की, तो फिर विपक्षी नेताओं ने सभापति का अपमान किया. कांग्रेस के जयराम रमेश ने अध्यक्ष पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे. नेता प्रतिपक्ष ने सभापति से मिलने से इनकार कर दिया. हम इसकी निंदा करते हैं.


6- इस पर जयराम रमेश ने कहा कि पीयूष गोयल ने विपक्ष पर राज्यसभा के सभापति की बुलाई गई बैठक के बहिष्कार का आरोप लगाया. ऐसा सदन के नेता ने किया. जिन्होंने अपने सांसदों से विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे जी को सभापति की अनुमति के बाद दो बार बोलने से रुकवाया. अडानी पर जेपीसी के अलावा विपक्ष के नेता को चुप कराना भी एक मुद्दा है.






7- इसके अलावा जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है कि विपक्ष द्वारा अडानी घोटाले की जेपीसी जांच की मांग को राहुल गांधी की माफी की मांग से कैसे जोड़ा जा सकता है? कांग्रेस का साफ कहना है कि जेपीसी की मांग छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता.


8- वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि उन्हें चिंता है कि राहुल गांधी फिर पीएम से अडानी के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछ सकते हैं. अभी तक जेपीसी जांच नहीं हुई है, इसलिए इतना ड्रामा कर रहे हैं.


9- राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सभापति जगदीप धनखड़ की ओर से मंगलवार को बुलाई गई विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक का विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सरकार और विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण लोकसभा स्थगित होने के बाद अपने कक्ष में सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी.


ये भी पढ़ें: Parliament Deadlock: 'JPC की मांग छोड़ दें तो बीजेपी भी राहुल गांधी की माफी का मुद्दा छोड़ देगी', कांग्रेस ने सरकार पर ये ऑफर देने का लगाया आरोप