संसद की समिति ने रक्षा बजट पर खड़े किए सवाल, कहा- ऑपरेशनल तैयारियों पर पड़ सकता है असर
बीजेपी सांसद ओराम जुयाल की अध्यक्षता वाली कमेटी ने रक्षा बजट को लेकर रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय दोनों को भी आड़े हाथों लिया है.
यूक्रेन युद्ध और LAC पर चीन से चल रहे तनाव के बीच संसद की रक्षा समिति ने देश के रक्षा बजट को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. बीजेपी सांसद ओराम जुयाल की अध्यक्षता वाली कमेटी ने रक्षा बजट को लेकर रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय दोनों को भी आड़े हाथों लिया है.
संसद के पटल पर रखी गई रक्षा संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल यानि 2022-23 के लिए सेना के तीनों अंगों यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने कुल मिलाकर करीब 2.16 लाख करोड़ के कैपिटल बजट की मांग की थी. लेकिन सरकार ने मात्र 1.52 लाख करोड़ ही सेना के आधुनिकिरण के लिए आवंटित किया है.
रुक सकती है हथियारों की अपग्रेड करने की प्रक्रिया
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे सशस्त्र सेनाओं की ऑपरेशनल तैयारियों पर असर पड़ सकता है. रिपोर्ट में साफतौर से कहा गया है कि कैपिटल बजट कम करने से सेनाएं नए हथियार और सैन्य साजो सामान नहीं ले पाएंगी और मौजूदा हथियारों की अपग्रेड करने की प्रक्रिया भी रुक सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे सेनाओं के आधुनिकिरण पर खासा असर पड़ सकता है.
रक्षा बजट में कैपिटल-बजट सेनाओं के आधुनिकिरण यानि हथियार और दूसरे सैन्य साजों सामान के खरीदने के लिए आवंटित किया जाता है. रक्षा संसदीय समिति ने वायुसेना के बजट को लेकर खासतौर से सवाल खड़े किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना के रक्षा बजट (कैपिटल और रेवेन्यू दोनों मिलाकर) करीब 47000 हजार करोड़ की कमी थी.
रिपोर्ट मे टू-फ्रंट (चीन और पाकिस्तान सीमा) दो मोर्चो पर तैयारियों को लेकर कहा गया है कि इस खतरे को नजरदांज नहीं किया जा सकता. रिपोर्ट में कहा गया कि वायुसेना की सभी स्कॉवड्रन पुरानी हो रही हैं. ऐसे में एलसीए मार्क-1 (तेजस) और एमएफआरए यानि मीडियम रेंज फाइटर जेट (एलसीए-मार्क 2) वायुसेना की खासी मदद कर सकते हैं. रिपोर्ट में लड़ाकू विमानों की मिसाइसों और दूसरे हथियारों को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं कि फायर-पावर और टेक्नोलोजी से किसी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता.
रक्षा संसदीय समिति में सांसद ओराम जुयाल के अलावा 30 अन्य सासंद शामिल हैं. इनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और एनसीपी अध्यक्ष (और पूर्व रक्षा मंत्री) शरद पवार भी शामिल हैं. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सरकार को स्वदेशी अर्जुन टैंक के लिए जल्द से जल्द मिसाइल खरीदने का काम करना चाहिए. साथ ही स्वदेशी एयरक्राफ्ट, एलसीए तेजस को और घातक बनाने की जरुरत है. साथ ही तेजस को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट की डिमांड को भी पूरा करने की जरुरत है.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि डिफेंस पीएसयू के हथियारों को विदेशों में बेचने के लिए विदेश मंत्रालय की मदद भी लेनी चाहिए. साथ ही कहा कि ओएफबी यानि ओर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के कोरपोरेटाइजेशन से इसके अंतर्गत आने वाली सभी फैक्ट्रियां अधिक मुनाफे के साथ साथ उन्नत किस्म के हथियारों का उत्पादन करेंगी.
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