National Education Policy 2020: शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव करने की सिफारिश की है. समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि स्कूली किताबों में सभी धर्मों से जुड़े महापुरुषों को शामिल किया जाना चाहिए. समिति का कहना है कि सरकार को स्कूली किताबों में धार्मिक शिक्षाओं की विविधता को उजागर करना चाहिए.
संसदीय स्थायी समिति ने सुझाव दिया है कि इसे संशोधित राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) में शामिल किया जाना चाहिए. स्कूल में बच्चों को अर्थव्यवस्था और रक्षा उत्पादन में भारत के उदय के इतिहास को पढ़ाया जाना चाहिए. पाठ्यक्रम में महिला सशक्तिकरण को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है.
स्कूली किताबों से मिलेगा धर्म का ज्ञान
समिति ने सिफारिश की है कि NCERT और SCERT को स्कूली पाठ्यक्रम में वेदों और अन्य प्राचीन ग्रन्थों से जुड़ी शिक्षा और ज्ञान को शामिल करना चाहिए. समिति का तर्क है कि इससे बच्चों को जीवन और समाज से जुड़ी शिक्षा मिलेगी. ये सिफारिशें ऐसे समय में आई हैं जब राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) उस ढांचे को संशोधित कर रही है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप स्कूल पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करेगा.
गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को पढ़ाने की सुझाव
समिति ने गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को पाठ्यपुस्तकों में समान महत्व के साथ शामिल किए जाने की मांग की. इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को NCERT के साथ मिलकर योजना तैयार करने का सुझाव दिया. समिति ने कहा, "देश में महान स्वतंत्रता सेनानियों को भी अपराधियों के रूप में पेश किया गया है. राजवंशों को भी समानता से नहीं पढ़ाया जाता. सिख और मराठा इतिहास का खराब प्रतिनिधित्व और पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं का कम जगह दी गई है. इसे सुधारा जाए."
शिक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किए कुछ सुझाव
शिक्षा मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा, "पैनल के विभिन्न सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है. उन्हें नए पाठ्यक्रम ढांचे में शामिल किया जाएगा." शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि कक्षा 6 और 7 की इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में वेदों और भगवद गीता को पढ़ाया जाएगा. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए समिति ने अन्य सभी धर्मों और प्राचीन ग्रंथों में दी गई शिक्षा को भी शामिल करने की मांग की. समिति ने कहा कि सुझावों को ढांचे के विकास में शामिल हितधारकों के साथ साझा किया जाना चाहिए.
ये भी पढ़ें-Delhi AQI: दिल्ली में गंभीर हुई वायु गुणवत्ता, केंद्र सरकार के पैनल ने कहा अभी बंदिशों की जरूरत नहीं