नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जवाब दिया. अपने जवाब की शुरुआत में अमित शाह ने हिंसा में मरने वालों लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की. घायलों के प्रति भी उन्होंने संवेदना जाहिर की. अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में जो कुछ हुआ उस पर सभी सदस्यों ने इसपर चिंता जाहिर की है लेकिन कहीं कहीं हिंसा को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि 25 तारीख को 11 बजे के बाद एक भी दंगे की घटना नहीं हुई. उन्होंने कहा कि 27 फरवरी से अबतक 700 एफआईआर दर्ज की गई है. नरेंद्र मोदी की सरकार हिंसा में शामिल किसी भी दोषी को नहीं बख्शेगी.
36 घंटे में दिल्ली पुलिस ने हिंसा पर काबू पाया- अमित शाह
दिल्ली की आबादी 1.70 करोड़ है. जहां दंगा हुआ वहां की आबादी 20 लाख है. 20 लाख लोगों के बीच दंगा हुआ और इसे पूरी दिल्ली में नहीं फैलने देने में दिल्ली पुलिस ने अहम भूमिका निभाई. दिल्ली पुलिस ने सही तरीके से काम किया. इसके लिए शाह ने दिल्ली पुलिस की प्रशंसा की. 24 फरवरी 2020 को दो बजे के आसपास हिंसा की पहली सूचना मिली. 25 फरवरी को 11 बजे आखिरी सूचना मिली. दिल्ली में 36 घंटे तक दंगे हुए. पुलिस ने 36 घंटे में दंगे पर काबू पाया.
चर्चा में देरी क्यों हुई
अमित शाह ने कहा कि ये सदन 2 तारीख को शुरू हुआ. हमने कहा कि होली के बाद चर्चा को तैयार हुए. होली के समय दंगों का इतिहास रहा है इसलिए होली के बाद चर्चा के लिए तैयार हुए. देश और दिल्ली में शांति बनी रहे इस मकसद के लिए 11 मार्च को चर्चा के लिए तैयार हुए.
'दंगे में 52 भारतीयों की जान गई'
लोकसभा में जानकारी देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इस हिंसा में 52 भारतीयों की जान गई और 526 घायल हुए हैं. दंगे में 371 दुकानें जली हैं. मंदिर और मस्जिद दोनों को नुकसान हुआ है. उन्होंने मरने वालों का धर्म बताने वाली राजनीति की निंदा की.
'आर्म्स एक्ट के 49 मामले दर्ज'
अमित शाह ने कहा कि हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए. आर्म्स एक्ट के 49 मामले दर्ज किए गए हैं और 153 हथियार बरामद किए गए हैं. 25 फरवरी से शांति समिति की 650 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं. इतने कम समय में इतने बड़े पैमाने पर दंगे फैलाना बिना साजिश के संभव नहीं है. हमने इस एंगल की जांच के लिए साजिश का मामला दर्ज किया है. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा के वित्तपोषण के लिए तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
तथ्यों के साथ तोड़फोड़ करने का अधिकार नहीं- शाह
गृहमंत्री ने कहा, ''तथ्यों के साथ तोड़फोड़ करने का किसी को अधिकार नहीं है. विपक्ष ने कहा कि दिल्ली हिंसा के वक्त मैं ट्रंप के साथ उनके कार्यक्रम में बैठा था जबकि ये गलत है. मैं न तो उनके साथ ताजमहल गया, न राष्ट्रपति भवन में आयोजित रात्रिभोज कार्यक्रम में गया. मेरे संसदीय क्षेत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का दौरा था फिर भी मैं वहां नहीं गया. 24 फरवरी की शाम से लेकर 25 फरवरी की शाम तक हुई सभी बैठकें मेरी अध्यक्षता में हुईं.
'मैंने ही NSA को मामला संभालने के लिए कहा'
मैं पूरे समय दिल्ली पुलिस के संपर्क में था और मैं खुद दिल्ली हिंसा से प्रभावित इलाकों में इसलिए नहीं गया क्योंकि फिर दिल्ली की पुलिस का ध्यान मेरी सुरक्षा पर जाता. मैंने ही एनएसए अजीत डोभाल को इस मामले को संभालने के लिए कहा और वो मेरी ही सलाह पर दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाकों में गए थे.''
भौगौलिक स्थिति को समझना जरूरी- अमित शाह
अमित शाह ने ये भी कहा कि दंगों के पीछे के कारणों को समझने के लिए भौगौलिक स्थिति भी समझना जरूरी है. जिन इलाकों में दंगे हुए उनमें मुश्किल से वाहन भी नहीं जा पाते हैं. दिल्ली पुलिस का टू-व्हीलर वाहन भी कई गलियों में नहीं जा पाता है. वहीं आपराधिक तत्वों का भी काफी समय से दिल्ली की सीमा में हस्तक्षेप रहा है.
सीएए में नागरिकता देने का कानून
सीएए को लेकर देश को युवाओं और माइनॉरिटी को गुमराह करने किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि माइनॉरिटी की नागरिकता चली जाएगी. इस कानून में नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है. सीएए को चुपके से पास नहीं किया गया. दोनों सदनों में इस पर विस्तृत चर्चा हुई. एक-एक सवाल का जवाब दिया गया. तब जाकर इसे पास किया गया.
पहले भी देश में धर्म के आधार पर कानून बना
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में पहले भी धर्म को लेकर कानून बने हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ भी धर्म के आधार पर बना कानून है. उन्होंने कहा, ''मैं ऐसे कई कानून गिना सकता हूं.''
बिना नाम लिए सोनिया गांधी पर साधा निशाना
बिना नाम लिए सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि एक पार्टी के अध्यक्ष ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नफरत वाला बयान दिया. उनके बयान के बाद दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ. 14 दिसंबर की रैली में एक पार्टी के अध्यक्ष ने लोगों से कहा कि घरों से बाहर निकलो और फिर शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ.