आज भी अटक गया अविश्वास प्रस्ताव, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकसभा में विपक्षी दलों के हंगामे का हवाला देते हुए तेलुगू देशम पार्टी के टी नरसिंहन और वाईएसआर कांग्रेस के वाई बी सुब्बारेड्डी द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में असमर्थता जताई .
नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा में अलग अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की बैठक आज लगातार 13वें दिन भी नहीं चल सकी और अन्नाद्रमुक एवं तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सदस्यों की नारेबाजी के बीच कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी. ऐसे में मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी-वाईएसआर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर आज भी चर्चा नहीं हो सकी.
लोकसभा में बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरूआत से ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा, कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग और पीएनबी धोखाधड़ी मामले समेत कई अन्य मुद्दों पर विभिन्न दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित रही है. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकसभा में विपक्षी दलों के हंगामे का हवाला देते हुए तेलुगू देशम पार्टी के टी नरसिंहन और वाईएसआर कांग्रेस के वाई बी सुब्बारेड्डी द्वारा सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में असमर्थता जताई . सुमित्रा महाजन ने कहा कि जब तक सदन में व्यवस्था नहीं होगी, तब तक मैं अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए 50 सदस्यों की गिनती नहीं कर सकती. इसके बाद कांग्रेस, माकपा और कुछ दूसरे विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने स्थानों पर खड़े होकर हाथ ऊपर कर दिये. आज एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की बैठक पुन: शुरू हुई तो टीआरएस के सदस्य ‘एक राष्ट्र एक नीति'' की अपनी मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए आसन के पास आ गये, वहीं अन्नाद्रमुक के सदस्य आगे आकर कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग कर रहे थे. राजद से निष्कासित राजेश रंजन बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए. उन्होंने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा हुआ था, ‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दो, अपना वादा पूरा करो.'' हंगामे के बीच ही अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवाए और सदन में व्यवस्था बनाने की अपील की. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सदस्यों से आग्रह है कि वे अपने स्थानों पर वापस चले जाएं. सरकार अविश्वास प्रस्ताव सहित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को सदन के भीतर और सदन के बाहर पूर्ण विश्वास हासिल है. हंगामा थमता नहीं देख सुमित्रा महाजन ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं होने के कारण वह अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में असमर्थ हैं. इसके बाद उन्होंने सदन की बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया. पिछले सप्ताह शुक्रवार और बीते सोमवार तथा मंगलवार को भी सदन में हंगामे के कारण अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया जा सका था.संसद सत्र Live:-
12:05 AM: लोकसभा की दोबारा कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा, दिन भर के लिए स्थगित
11:10 AM: अलग अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के हंगामे की वजह से राज्यसभा की बैठक आज शुरू होने के कुछ ही देर बाद पूरे दिन के लिए स्थगित.
Ruckus in #RajyaSabha, TDP MPs storm the well of the House over demand of special status to #AndhraPradesh, opposition members say, 'it is also the duty of the govt to facilitate proceedings of the House.' Chairman adjourns the House till 11 am, tomorrow. pic.twitter.com/fI0KOvGgsE
— ANI (@ANI) March 21, 2018
11:05 AM: लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा, सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित
#LokSabha adjourned till 12 o' clock, soon after proceedings began & loud slogans of 'we want justice' were raised in the House.
— ANI (@ANI) March 21, 2018
10:45 AM: कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह वाजवा ने राज्यसभा में 39 भारतीयों की हत्या पर संक्षिप्त चर्चा के लिए नोटिस दिया
Congress MP Pratap Singh Bajwa has given notice in Rajya Sabha for short duration discussion on the death of 39 Indians in Iraq's Mosul.
— ANI (@ANI) March 21, 2018
क्या होगा अविश्वास प्रस्ताव का?
अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए इसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सहित कई विपक्षी दलों ने इन नोटिसों पर अपना समर्थन जताया है.
मौजूदा समय में लोकसभा में 539 सदस्य हैं, जिसमें से भाजपा के 274 सांसद हैं, जो अविश्वास प्रस्ताव गिराने के लिए आवश्यक 270 से अधिक है. ऐसे में इस अविश्वास प्रस्ताव का मतलब सिर्फ सांकेतिक है और इसे लेकर सरकार को कोई खतरा नहीं है. बीजेपी के पास शिवसेना और अकाली दल जैसी सहयोगी पार्टियों का भी समर्थन है. हालांकि शिवसेना ने कहा है कि वह अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के समय अनुपस्थित रहेगी.