Parliament Monsoon Session 2023: संसद के मानसून सत्र के आठवें दिन सोमवार (31 जुलाई) को फिर से मणिपुर के मुद्दे पर हंगामे के चलते दोपहर बाद दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई. अब मंगलवार (1 अगस्त) को कार्यवाही शुरू होगी. सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा से भाग रहा है. वहीं, विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोकसभा और राज्यसभा का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बगैर किसी समय सीमा के व्यापक चर्चा के लिए संसद में आना चाहिए. पूरे घटनाक्रम से जुड़ी 10 बड़ी बातें-
1. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में हंगामे के ऊपर कहा कि विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में हिस्सा नहीं लेना चाहता. आज जब यह मुद्दा संसद में उठा तो विपक्ष चर्चा से भाग गया. विपक्ष के व्यवहार से दुखी हूं. मणिपुर उनके (विपक्ष) के लिए सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है. आज यह साबित हो गया कि वे मणिपुर मुद्दे पर सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रहे थे. अगर उन्हें वास्तव में परवाह होती तो उन्होंने इस पर चर्चा की होती.
2. केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा, ''हम चाहते हैं कि इस पर डिस्कशन हो लेकिन विपक्ष का रवैया आपने देखा, वो फिर एक बार इस पूरी चर्चा को नहीं होने देना चाहते हैं, कुछ तो बात है जो वो भाग रहे हैं, छुप रहे हैं चर्चा से.''
3. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार राजनीतिक बेइमानी से ग्रस्त है. उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि INDIA (विपक्षी गठबंधन) के 68 सदस्यों ने लिखकर रूल 267 से अंदर एक नोटिस दिया कि सब कार्य सस्पेंड कर चर्चा होनी चाहिए. सुरजेवाला ने कहा कि खुद बीजेपी के विधायक मान रहे हैं कि मुख्यमंत्री के संरक्षण में वहां स्टेट स्पोंसर्ड हिंसा हो रही है...'' उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए 68 साथियों ने बाकायदा नोटिस दिया, इसके बावजूद सरकार बेइमानी की आखिरी हद तक पहुंचकर और गिरकर अब चर्चा से भाग खड़ी हुई है. वो चाहते हैं कि शोरगुल में आधा घंटे से कम चर्चा हो और उसमें भी विपक्ष के लोग न बोलें.
4. इससे पहले राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि मणिपुर पर व्यापक और विस्तृत चर्चा प्राथमिकता में होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के प्रति जवाबदेह हैं, उन्हें संसद के अंदर आकर मणिपुर के मुद्दे पर बोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीएम कब तक राज्यसभा और लोकसभा का अपमान बंद करेंगे, यह अपमान राज्यसभा और लोकसभा का नहीं, बल्कि भारत की 130 करोड़ जनता का है. उन्होंने कहा कि याद रखें कि महाभारत एक द्रौपदी के लिए हुआ था, लेकिन यहां कई द्रौपदी की लाज की बात है. मणिपुर मामले में एक कारगिल सैनिक की पत्नी की लाज की बात है.
5. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि प्रधानमंत्री अब तक मानसून सत्र के आठ दिनों में 20 सेकेंड के लिए भी संसद में नहीं आए हैं. उन्होंने कि हम मणिपुर पर आपातकालीन नियम के तहत चर्चा करना चाहते हैं, न कि 176 के 'टोस्ट और बटर' नियम के तहत. डेढ़ घंटे या दो घंटे की चर्चा का मतलब नहीं है. यह 'टोस्ट और बटर' नियम है, हम मणिपुर पर फुल मील डिस्कशन चाहते हैं.''
6. राज्यसभा में विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा के लिए मांग करता रहा, जो सदन में अन्य सभी कार्यों को निलंबित करने की अनुमति देता है. वहीं, सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सरकार नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्षी सांसद अपनी मांग से नहीं हटे. इस बीच सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा.
7. मणिपुर मामले पर हंगामे के बीच सोमवार (31 जुलाई) को सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन करने के लिए सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में पारित हो गया. इससे पहले इसे राज्यसभा में पारित किया जा सका है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस विधेयक को पेश किया था.
8. शुक्रवार (28 जुलाई) को संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि अगले हफ्ते दिल्ली अध्यादेश की जगह लेने के लिए संसद में विधेयक पेश किया जा सकता है. दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित इस बिल का नाम 'राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023' है. उम्मीद की जा रही थी कि सोमवार को दिल्ली सेवा बिल संसद में पेश होगा लेकिन नहीं हुआ.
9. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया से कहा, ''अगर आपको 2018 की याद हो तो तब भी विपक्ष यह जानते हुए भी कि बीजेपी-एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है, उसके बाद भी अविश्वास प्रस्ताव लाया था. स्पीकर जब चाहे तब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करें, सरकार चर्चा के लिए तैयार है और देश को भी विपक्ष का असली चेहरा नजर आए.''
10. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से कहा, ''प्रधानमंत्री के नेतृत्व सभी सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों को वहां (मणिपुर) के हालात का जायजा लेने के लिए जाना चाहिए. हम बिहार और पश्चिम बंगाल पर भी चर्चा करने के लिए तैयार हैं. सरकार को जल्द से जल्द अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करानी चाहिए. हमें अन्य मुद्दों पर चर्चा करने पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उन्हें पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करानी चाहिए.''
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