(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Manipur Violence: हंगामे की भेंट चढ़ी संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही, सरकार बोली- चर्चा को तैयार, पीएम के बयान पर अड़ा विपक्ष
Monsoon Session: लोकसभा और राज्यसभा में लगातार दूसरे दिन मणिपुर पर चर्चा को लेकर हंगामा रहा. विपक्ष अड़ा हुआ कि पीएम मोदी सदन में बयान दें तो वहीं सरकार कह रही है कि ये लोग चर्चा नहीं चाहते.
Parliament Monsoon Session: मणिपुर हिंसा और राज्य में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में लगातार दूसरे दिन भी जमकर हंगामा हुआ.
इस कारण राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 2 बजकर 30 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी गई. इसके बाद इसे सोमवार (24 जुलाई) के 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया. वहीं लोकसभा की कार्यवाही भी सोमवार 11 बजे तक स्थगित कर दी गई.
इसको लेकर विपक्ष और केंद्र सरकार एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं. एक तरफ विपक्ष मणिपुर के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सदन के भीतर बयान देने पर अड़ा हुआ है तो सरकार कह रही है कि विपक्ष सदन नहीं चलने दे रहा.
विपक्ष क्या कहा रहा है?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ''हमने मणिपुर के वीडियो का मामला संसद में उठाया था, लेकिन हमको मौका नहीं मिला. सरकार को इस विषय पर चर्चा करनी चाहिए. हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बयान दें. हमारी बदकिस्मती है कि उन्होंने सदन के बाहर तो बयान दिया लेकिन संसद चलने पर भी अंदर कुछ नहीं कहा.''
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर संसद के दोनों सदनों में पीएम मोदी के बयान और चर्चा की मांग करते हुए शुक्रवार को कार्य स्थगन के नोटिस दिए.
राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी ने नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस में मणिपुर के विषय पर चर्चा की मांग की और यह भी कहा कि पीएम मोदी को सदन में बयान देना चाहिए.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने भी प्रधानमंत्री पीएम मोदी से आग्रह किया कि वह मणिपुर की हिंसा के विषय पर सदन के भीतर बयान दें.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने मणिपुर के मामले पर सदन के बाहर बयान देकर संसदीय परंपरा को तोड़ा है. उन्होंने संसद परिसर में कहा, ‘‘जब संसद का सत्र चल रहा हो तो मंत्री सदन के बाहर बयान नहीं देते. यह परंपरा रही है, लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए पीएम मोदी ने मणिपुर के बारे में सदन के से बाहर बयान दिया. 80 दिनों के बाद उनकी कुंभकर्ण वाली नींद टूटी, लेकिन वह सदन के बाहर बोले.’’
सरकार क्या बोली?
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के दौरान कहा, ''मणिपुर की घटना गंभीर है. इसकी गंभीरता को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि जो हुआ उससे पूरा देश शर्मसार हुआ है. पीएम मोदी ने कठोर कार्रवाई के की बात भी कही है. हम चाहते हैं कि सदम में चर्चा हो. मैंने भी ये बात ऑल पार्टी मीटिंग में कहा था, लेकिन मैं देख रहा है कि कुछ राजनीतिक दल ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं कि मामले पर चर्चा नहीं हो. ये लोग मणिपुर की घटना को लेकर गंभीर नहीं है.''
वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्ष दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर चर्चा कराना चाहती है और चर्चा में भाग भी लेना चाहती है, लेकिन विपक्ष चर्चा से भाग रहा. संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रहा.
सूचना प्रसारण मंत्री ठाकुर ने संसद भवन परिसर में कहा कि संसद के पिछले कुछ सत्रों का उदाहरण देखें तो यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष कोई न कोई बहाना बनाकर यह प्रयास करता है कि चर्चा न हो, संसद न चले.
मणिपुर का मामला क्या है?
मणिपुर में बुधवार को एक वीडियो वायरल हुआ. इसमें भीड़ दो महिलाओं को निर्वस्त्र परेड करा रही है. पुलिस के मुताबिक, ये मामला 4 मई का है. मामले में मुख्य आरोपी सहित चार लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
इस पर पीएम मोदी ने गुरुवार (20 जुलाई) को संसद का मानसून सत्र शुरू होने से सदन के बाहर कहा था कि देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है. दोषियों को बख्सा नहीं जाएगा.
बता दें कि राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय के तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’वाले दिन मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी. अभी तक इसमें 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
इनपुट- भाषा से भी
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