Parliament Monsoon Session: राज्यसभा में मणिपुर हिंसा को लेकर जारी गतिरोध खत्म हो सकता है. एबीपी न्यूज़ को सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा में मणिपुर के मामले पर डिबेट के लिए केंद्र सरकार राजी है. सूत्रों ने कहा कि यह चर्चा मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को हो सकती है.
गुरुवार (3 अगस्त) को ही गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा, ''मणिपुर पर जितनी लंबी बहस करनी है करिए, मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं. विपक्ष की प्राथमिकता अपने गठबंधन को बचाना है. विपक्ष को मणिपुर की चिंता नहीं है.''
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन में मणिपुर हिंसा पर बयान देने की मांग कर रहे हैं. इस पर सरकार कह रही है हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्षी दल चर्चा से भाग रहे हैं.
मीटिंग में विपक्षी दलों ने क्या सुझाव दिया?
गतिरोध के बीच राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी नेताओं के साथ गुरुवार को मीटिंग की. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस दौरान विपक्षी गठबंधन ’इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं ने सुझाव दिया कि मणिपुर पर चर्चा होने के दौरान कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए.
इस बैठक के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के घटक दलों ने गतिरोध खत्म करने के लिए बीच का रास्ता सुझाया है और उम्मीद है कि सरकार इसे स्वीकार करेगी. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि विपक्ष ने क्या पेशकश की है. इसके बाद सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है.
विपक्षी दल क्या कह रहे हैं?
राज्यसभा में विपक्ष अपनी इस मांग पर कायम है कि पीएम मोदी को सदन में मणिपुर के विषय पर बयान देना चाहिए और फिर समग्र चर्चा होनी चाहिए. पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विपक्ष ने नियम 267 के तहत चर्चा की मांग को लेकर अपने रुख को लचीला किया है. बता दें कि नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का प्रावधान होता है.
मणिपुर में हिंसा कब शुरू हुई?
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में शुरू हुई हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कई लोगों के घर जलाए दिए गए हैं.