मानसून सत्र में 2 जीत के साथ पूरे विपक्ष पर भारी रही मोदी सरकार, जानें खास बातें
18 दिनों (कार्य दिवस) तक चले इस सत्र में फ्लोर पर एक के बाद एक विपक्ष को दो हार मिली और सरकार अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित बिल और एससी एसटी संशोधन विधेयक को आसानी से पास कराने में सफल रही.
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नई दिल्ली: संसद का मानसून आज खत्म हो रहा है. 18 दिनों तक चले इस सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोर-आजमाइश देखने को मिली. लेकिन हर बार जीत सत्तापक्ष की हुई और विपक्ष धराशाई दिखा. 18 जुलाई को संसद सत्र शुरू होने के तीसरे दिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष एकजुट तो रहा लेकिन नए दलों को जोड़ने और आंकड़ों में बड़े अंतरों से पिछड़ गया. कल राज्यसभा उपसभापति चुनाव में भी विपक्ष को करारी शिकस्त मिली. वहीं सरकार नाराज शिवसेना और गठबंधन के बाहर के दल बीजेडी को अपने पाले में करने में कामयाब रही. खुद अमित शाह ने गठबंधन सहयोगियों से बात की.
उपसभापति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश ने 20 वोटों से जीत दर्ज की. राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है. उसके बावजूद बीजेपी ने फ्लोर पर विपक्ष को बड़े अतंरों से मात दी. दरअसल, विपक्ष पार्टियां बयानों से आगे नहीं बढ़ सकी. वोटिंग के वक्त अलग-थलग दिखी. यही वजह रहा कि सदन में उसे हार मिली. आम आदमी पार्टी (आप) वोटिंग से दूर रही. अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के साथ थी. सदन के अंदर की इस जीत और विपक्ष की हार को बीजेपी इसे अपनी 'अपराजय' की फेहरिस्त में शामिल कर लोगों के पास प्रचारित करेगी.
इन दो जीतों के अलावा सरकार अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित बिल और एससी एसटी संशोधन विधेयक को आसानी से पास कराने में सफल रही. 18 जुलाई को जब मानसून सत्र की शुरुआत हुई थी तो विपक्षी दलों के तेवरों को देखते हुए माना जा रहा था कि पिछले बजट सत्र की ही तरह ये सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा. मॉब लिंचिंग (भीड़ की हिंसा), किसान, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा जैसे मसलों पर विपक्ष सरकार को घेरने के लिए पटकथा लिख चुका था. हुआ भी ऐसा लेकिन मोदी सरकार के फ्लोर मैनेजमेंट की वजह से हंगामा ज्यादा दिनों तक नहीं चला और हर मुद्दों पर चर्चा कर सरकार ने सत्र को खूब भुनाया.
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दरअसल, विपक्ष बेरोजगारी, किसानी, भ्रष्टाचार जैसे मसलों पर सरकार को घेरने और विपक्षी दलों की एकजुटता को परखने के लिए मौके की तलाश में था. विपक्ष जमकर मोदी सरकार पर बरसा. चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी काफी आक्रामक अंदाज में नजर आए. राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राफेल डील को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया. हालांकि भाषण खत्म करने के बाद राहुल मोदी से गले मिले. विपक्ष के हमलों का खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक-एक कर जवाब दिया.
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उपसभापति चुनाव मोदी सरकार ने कल भी बड़ी जीत हासिल की. संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश ने 20 वोटों से जीत दर्ज की. राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है. दरअसल, अब तक बीजेपी से नाराज रही शिवसेना ने एनडीए के पक्ष में वोट डाला. वहीं नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने सरकार के पक्ष में वोट किया. आम आदमी पार्टी (आप) विपक्षी दलों की एकजुटता पर पानी फेरते हुए वोटिंग से दूर रही. भले ही ये सदन के अंदर की जीत हो लेकिन बीजेपी इसे अपनी 'अपराजय' की फेहरिस्त में शामिल कर लोगों के पास प्रचारित करेगी.
असम एनआरसी मानसून सत्र में असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मुद्दा भी छाया रहा. करीब तीन दिन राज्यसभा की कार्यवाही पूरी तरह ठप रहा. तो वहीं लोकसभा में कई बार हंगामे की वजह से कार्यवाही बाधित हुई. तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने जोर-शोर से मुद्दा उठाया और मोदी सरकार के मंसूबों पर सवाल उठाए. असम एनआरसी ड्राफ्ट में असम में रह रहे 40 लाख लोगों को फिलहाल भारत का नागरिक नहीं माना गया है. 30 जुलाई को एनआरसी ड्राफ्ट जारी किये जाने के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी आक्रामक दिखी. खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि एक भी घुसपैठिये को देश में नहीं रहने दिया जाएगा. हालांकि बाद में विपक्षी दलों के तेवर को देखते हुए सरकार ने नरमी दिखाई. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मामले को शांत करते हुए राज्यसभा में सधा हुआ बयान दिया. उन्होंने कहा कि किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होगी. सभी लोगों को नागरिकता साबित करने के लिए मौके दिए जाएंगे.
एससी/एसटी बिल एससी/एसटी एक्ट के मुद्दे पर बैकफुट पर आई मोदी सरकार मानसून सत्र में संशोधन विधेयक पास कराने में सफल रही. दरअसल, विपक्षी दलों का आरोप था कि एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दलितों पर अत्याचार बढ़ेगा. उनका कहना था कि सरकार ने मजबूती से कोर्ट में पक्ष नहीं रखा जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने कानून में बड़े बदलाव किए. फैसले के बाद दलित आंदोलन हिंसक रूप ले लिया था. खुद बीजेपी और गठबंधन दलों के सांसदों ने कहा था कि अगर पुराने प्रावधानों के जैसा कानून नहीं लाया गया तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा. जिसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया.
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ओबीसी बिल मानसून सत्र में दोनों सदनों से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से जुड़े संविधान (123वां संशोधन) विधेयक को भी मंजूरी मिली. बिल के मुताबिक, अनुसूचित जाति (एससी) की सूची केंद्र और राज्यों के लिए समान है. लेकिन राज्यों की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की अपनी अलग सूचियां हो सकती हैं. अगर कोई राज्य केंद्रीय ओबीसी सूची में किसी भी जाति को शामिल करना चाहता है तो उसे एनसीबीसी को लिखना होगा, जो उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद उस जाति को शामिल कर सकती है."
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हालांकि सरकार आज तीन तलाक बिल पर विपक्षी दलों के आगे बैकफुट पर दिखी. विपक्षी दलों की असहमति की वजह से सरकार आज राज्यसभा में तीन तलाक बिल पेश नहीं कर सकी. पिछले बजट सत्र में सरकार बिल पास कराने में असफल रही थी. बीजेपी का आरोप है कि विपक्षी दल मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से तीन तलाक बिल पर सरकार का साथ नहीं दे रही है.
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