संसद का मानसून सत्र आगे बढ़ाने की उठी मांग, राज्यसभा सांसद ने कहा- पीएम मोदी जासूसी मामले पर कराएं चर्चा
संसद का मानसून सत्र बीते 19 जुलाई से चल रहा है. लगातार हंगामे के कारण दोनों सदनों में कामकाज बाधित चलने से जरूरी मुद्दों पर बहस नहीं हो पा रही है. कई बिल बगैर बहस के ही पारित हो रहे.
नई दिल्ली: संसद में मानसूत्र सत्र शुरू होने के बाद से विपक्ष दोनों सदनों में लगातार हंगामा कर रहा है, जिस वजह कार्यवाही बाधित हो रही है. विपक्षी सदस्य कथित पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों के मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे हैं. अब आखिरी हफ्ते की कार्यवाही शुरू होने से पहले आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने संसद के मानसून सत्र की समय सीमा बढ़ाकर जासूसी मामले पर चर्चा की मांग की है. मनोज झा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पेगासस जासूसी मामले पर संसद में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए. व्यर्थ गए समय के बदले अब संसद के मानसून सत्र का विस्तार किया जाना चाहिए.
राज्यसभा सदस्य झा ने इस बात के लिए भी सरकार की आलोचना की कि वह बार-बार जोर देकर यह कह रही है कि विपक्षी दलों के साथ संवाद कायम करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं होता कि आप ‘‘जेब में हाथ डालकर, चेहरे पर कठोर भाव बनाकर कहें कि हमारे पास देने को बस यही है, कुछ और नहीं. संवाद कायम करने की आड़ में वे वार्ता के लिए दरवाजे बंद कर रहे हैं. मैंने कई बार यह कहा है कि संवाद बनाने की जिम्मेदारी जिन तथाकथित लोगों को दी गई. संभवत: उनके पास किसी तरह की ठोस पेशकश देने का अधिकार नहीं है.’’
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष पर संसद न चलने का आरोप लगाया था. रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि हंगामे के कारण संसद न चलने से अब तक 130 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
राज्यसभा में अब तक 60 घंटे 28 मिनट का समय बर्बाद हुआ
राज्यसभा में तीसरे हफ्ते हंगामे की वजह से 21 घंटे 36 मिनट का समय बर्बाद हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक मानसून सत्र शुरू होने से अबतक कुल 78 घंटे 30 मिनट के समय में 60 घंटे 28 मिनट हंगामे की वजह से बर्बाद हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि गत तीन सप्ताह के दौरान सदन में कुल 17 घंटे 44 मिनट काम हुआ है जिनमें से चार घंटे 49 मिनट सरकारी विधेयकों पर व्यय हुआ, तीन घंटे 19 मिनट प्रश्नकाल में व्यय हुए और चार घंटे 37 मिनट में कोविड-19 संबंधी मुद्दों पर संक्षिप्त चर्चा हुई.
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