(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एनिमी प्रॉपर्टी अमेंडमेंट बिल: अब 'शत्रु' देश के नागरिक नहीं कर पाएंगे भारत में अपनी संपत्ति पर दावा!
नई दिल्ली: संसद ने आज शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी जिसमें युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गयी संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं.
इसे पहले ही पारित कर चुकी है राज्यसभा
लोकसभा ने शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 में राज्यसभा में किए गए संशोधनों को मंजूरी देते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया. राज्यसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. अब ये विधेयक शत्रु संपत्ति पर सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा.
शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास
इस बारे में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी सरकार को अपने शत्रु राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी चाहिए. शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए न कि शत्रु देशों के नागरिकों के उत्तराधिकारियों के पास.
उन्होंने कहा कि जब किसी देश के साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है और शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 ’’ को 1962 के भारत चीन युद्ध , 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए.
ऐसा नहीं होने से लाखों करोड़ों रूपये की संपत्ति का नुकसान
ये विधेयक इन युद्धों की पृष्ठभूमि में अपनी पुश्तैनी संपत्ति छोड़ शत्रु देश चले जाने वाले पाकिस्तानी और चीनी नागरिकों से संबंधित है. इस विधेयक बारे में राजनाथ सिंह ने कहा कि इस विधेयक को पारित कराना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा नहीं होने से लाखों करोड़ों रूपये की संपत्ति का नुकसान होगा.
सरकार द्वारा अध्यादेश का रास्ता लेने पर विपक्ष की आलोचना पर गृह मंत्री ने कहा कि सरकार भी अध्यादेश का रास्ता नहीं लेना चाहती है. ज्यादा जरूरत होने पर ही ऐसा किया जाता है उन्होंने कहा कि पीछे की तारीख से प्रभावी होने का जो कुछ उल्लेख किया गया है, उससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.
विधेयक में कुछ शब्दों में बदलाव किया गया
कुछ सदस्यों ने विघेयक को संसद की स्थायी समिति के पास नहीं पर सरकार की आलोचना की थी. इस पर राजनाथ ने कहा कि इस बारे में व्यापक चर्चा हो चुकी है. इस विधेयक में कुछ शब्दों को प्रतिस्थापित किया गया है जिसमें 67वें के स्थान पर 68वें, 2016 के स्थान पर 2017 तथा किसी विधि के स्थान पर किन्ही विधियों आदि को बदला गया है.
विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि शत्रु सम्पत्ति संशोधन और विधिमान्यकरण अधिनियम 2017 द्वारा यथासंशोधित इस अधिनियम के तहत किसी सम्पत्ति के संबंध में या इस बाबत केंद्र सरकार या अभिरक्षक द्वारा की गई किसी कार्रवाई के संबंध में किसी वाद या कार्यवाही पर विचार करने का अधिकार नहीं होगा.
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति आदेश की सूचना अथवा प्राप्ति की तारीख के साठ दिन की अवधि के भीतर ऐसे आदेश से उत्पन्न किसी प्रश्नगत तथ्य अथवा विधि के संबंध में उच्च न्यायालयों में अपील कर सकता है.
न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का कहीं से कोई उल्लंघन नहीं
राजनाथ ने कहा कि इस प्रकार का कानून पाकिस्तान और चीन सहित दुनिया के कई अन्य देशों में पहले से लागू है. यह केवल पाक गए लोगों की संपत्ति का ही नहीं बल्कि 1962 के युद्ध के बाद चीन गए लोगों की संपत्ति का भी मामला है. इससे मानवाधिकारों या न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का कहीं से कोई उल्लंघन नहीं होता है.
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, शत्रु संपत्ति के मालिक का कोई उत्तराधिकारी भी यदि भारत लौटता है तो उसका इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं होगा. एक बार कस्टोडियन के अधिकार में जाने के बाद शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकारी का कोई अधिकार नहीं होगा.