Parliament Security Breach: संसद सुरक्षा चूक मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा. आरोपियों ने इसके लिए हामी भर दी है. संसद में घुसपैठ का मास्टरमाइंड ललित झा, महेश कुमावत और अमोल शिंदे पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सहमत हो गए हैं. आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी पॉलीग्राफ, नार्को एनालिसिस और ब्रैन मैपिंग के लिए तैयार हुए हैं, जबकि आरोपी नीलम आजाद ने पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए हामी नहीं भरी है. 


दरअसल, संसद सुरक्षा केस में गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों की पुलिस कस्टडी शुक्रवार (5 जनवरी) को पूरी हुई. इसके बाद पुलिस ने सभी छह आरोपियों मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, नीलम आजाद, ललित झा और महेश कुमावत को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया. इस दौरान कोर्ट में पॉलीग्राफ टेस्ट को लेकर सुनवाई हुई. मामले पर सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी छह आरोपियों की पुलिस कस्टडी को 8 दिनों तक के लिए बढ़ा दिया. 


पुलिस ने बताया क्यों जरूरी है पॉलीग्राफ टेस्ट?


दिल्ली पुलिस ने सभी आरोपियों की कस्टडी बढ़ाने के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की थी. आरोपियों के पॉलीग्राफ, नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग के लिए भी अर्जी दी गई. इसके बाद कोर्ट ने लीगल ऐड के वकील से आरोपियों को बात करने को कहा. पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने जो मोबाइल नष्ट किए हैं, उनके सिमकार्ड रिकवर कर लिए गए हैं, जबकि कुछ डाटा भी रिकवर हुआ है. 


पुलिस ने अदालत में कहा कि कई ऐसे तथ्य है जो आरोपियों ने छिपाने की कोशिश की है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसे में इन सभी का मनोवैज्ञानिक परीक्षण जरूरी है. 2 लोगों मनोरंजन और सागर के लिए भी हमें नार्को करना होगा. 


कस्टडी बढ़ाने का हुआ विरोध


आरोपियों के वकील ने कस्टडी बढाए जाने की मांग का विरोध किया. नीलम आजाद के वकील ने कहा सोशल मीडिया के डाटा की जांच के लिए पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि कुछ पासवर्ड छिपाया गया है. डाटा से कंफ्रंट करवाने के लिए हिरासत की जरूरत है. आरोपियों की तरफ से वकील ने कहा कि जिस पासवर्ड की जानकारी नहीं देने का पुलिस आरोप लगा रही है, इसके डिटेल के बारे में पुलिस को कोर्ट को बताना चाहिए.


यूएपीए के तहत दर्ज हुई है एफआईआर


संसद सुरक्षा चूक मामले में दिल्ली पुलिस में ने यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की थी. फिर आरोपियों की पहले 5 से लेकर 7 दिन और फिर 15 दिन की रिमांड पुलिस को सौंपी गई थी. इस पूरे मामले में सबसे अहम सुराग आरोपियों के मोबाइल फोन थे, जिन्हें पुलिस सही सलामत बरामद नहीं कर पाई थी. आरोपी ललित झा ने पुलिस के सामने सरेंडर करने से पहले मोबाइल को तोड़ दिया था और उन्हें जलाने की कोशिश भी की थी. पुलिस को मोबाइल फोन के टुकड़ों के फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है. 


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