Parliament Security Breach: संसद में हुई सुरक्षा चूक के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला किया है. संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को सौंप दी गई है. अब तक दिल्ली पुलिस के जवान संसद की सुरक्षा संभाल रहे थे. गृह मंत्रालय ने फैसला किया है कि संसद भवन परिसर की व्यापक सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ संभालने वाली है. संसद की सुरक्षा चूक को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर भी है.
सीआईएसएफ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) का एक हिस्सा है, जो न्यूक्लियर और एयरोस्पेस डोमेन के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठानों, सिविलियन एयरपोर्ट और दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा का काम करती है. इसके अलावा दिल्ली में कई केंद्रीय मंत्रालयों के भवनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सीआईएसएफ के पास ही है. इस तरह सरकार के फैसले के बाद अब सीआईएसएफ के पास देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली इमारत की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आ गई है.
सीआईएसएफ की नियुक्ति से पहले होगा संसद भवन का सर्वे
सीआईएसएफ ने उप महानिरीक्षक अजय कुमार की अध्यक्षता में एक बोर्ड गठित किया है, जो संसद भवन परिसर का व्यापक एवं सघन सर्वेक्षण करेगा ताकि सीआईएसएफ की सुरक्षा एवं अग्निशमन विंग की नियमित तैनाती की जा सके. सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय ने सीआईएसएफ के महानिदेशालय को बुधवार को संसद भवन परिसर के व्यापक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था जिस पर सीआईएसएफ महानिदेशालय ने तुरंत ही यह बोर्ड गठित करने का निर्णय लिया.
सूत्रों के अनुसार संसद के बजट सत्र के पहले सीआईएसएफ के संसद की सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालने की संभावना है. हालांकि विजिटर्स के लिए पास बनाने का काम संसद का स्टॉफ ही करेगा. 13 दिसंबर को लोकसभा के सदन में दो युवा दर्शक दीर्घा से अंदर कूद गए थे, जिससे संसद भवन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्न चिह्न लग गया था. इसके बाद सरकार ने संसद की सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करने के बाद यह फैसला किया है.
संसद का सुरक्षा प्रोटोकॉल क्या है?
संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकसभा के पास होती है. लोकसभा सुरक्षा की आंतरिक व्यवस्था को संभालती है. दोनों सदनों यानी राज्यसभा और लोकसभा के अपने सुरक्षा कर्मी होते हैं, जिन्हें पार्लियमेंट सिक्योरिटी सर्विस (पीएसएस) के तौर पर जाना जाता है. इस सर्विस का काम कुल मिलाकर पूरी सुरक्षा व्यवस्था करना होगा. ये सर्विस तब ज्यादा एक्टिव होती है, जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है और सदन में आवाजाही बंद होती है.
हालांकि, जब सत्र का आयोजन होता है और सांसदों का आगमन शुरू होता है, तो सिक्योरिटी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया जाता है. दिल्ली पुलिस के कर्मी, सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), इंडो-तिब्बत पुलिस फोर्स (आईटीबीपी) के जवानों को सत्र के दौरान सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है. इसके अलावा किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए इंटेलीजेंस ब्यूरो, एसपीजी, एनएसजी के जवान भी संसद भवन में मौजूद रहते हैं. हालांकि, सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के हाथ में होती थी, जिसे अब सीआईएसएफ को सौंप दिया गया है.
2001 संसद पर हमले के बाद काफी चीजें बदल भी गई हैं. अब संसद की सुरक्षा हाईटेक तरीके से की जाती है. हर रास्ते पर सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं. कुछ रास्तों और गेट्स को बंद कर दिया गया है. संसद के स्टाफ के पास अगर वैलिड आईडी नहीं होती है, तो उन्हें तुरंत लौटाने की व्यवस्था है. संसद में आने के लिए उन्हें भी पास की जरूरत पड़ती है. सुरक्षा के लिए मेटल डिटेक्टर जैसे उपकरण भी इस्तेमाल किए जाते हैं. संसद भवन परिसर के आस-पास तो इस तरह की सुरक्षा होती ही है, मगर संसद भवन के बाहर और उससे सटी सड़कों पर भी पुलिस हमेशा तैनात रहती है.
13 दिसंबर को क्या हुआ था?
दरअसल, संसद पर हमले की बरसी के दिन दो लोग सदन में घुस आए. उन्होंने नारेबाजी की और फिर अपने जूते में छिपाकर लाए गए स्मॉक बॉम्ब का इस्तेमाल सदन के भीतर ही कर दिया. इस वजह से सदन में पीले रंग का धुआं फैल गया. जिस वक्त इन लोगों ने ऐसा किया, उसी वक्त इनके दो साथियों ने भी बाहर स्मॉक कैंडिल जलाए और नारेबाजी. संसद में घुसपैठ करने वाले इन सभी आरोपियों को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया.