Parliament Security Breach: देश में हंगामा खड़ा करना था मकसद, सांसद सुरक्षा में चूक पर विपक्ष ने सरकार से पूछे तीन बड़े सवाल
Parliament Security Breach: संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने से पहले आरोपियों ने संसद परिसर की रेकी की थी. उन्हें पता था कि जूते की जांच नहीं होती इसलिए जूते में केन छिपाने के लिए स्पेशल कैविटी बनवाई.
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Parliament Security Breach Update: संसद की सुरक्षा में सेंध मामले के मामले में मुख्य आरोपी ललित झा सहित पांच लोग हिरासत में हैं. उनसे लगातार पूछताछ हो रही है. ललित ने बाकी आरोपियों के फोन जलाए तो विजिटर गैलरी में स्प्रे कैन लेकर कूदने वाले लखनऊ के सागर शर्मा की दो डायरी पुलिस को मिली है. इनमें से एक डायरी में पुलिस को लिखा मिला है कि घर से विदा लेने का का समय आ चुका है.
अब सुरक्षा एजेंसी के सामने सवाल ये है कि ललित ने आरोपियों के फोन क्यों और किसके कहने पर छिपाए ? सुरक्षा एजेंसियों को अंदेशा है कि इसके पीछे एक पूरा गिरोह है जो वारदात को अंजाम देने की योजना लंबे समय से बना रहा था।
मजदूरी का काम करने वाला आरोपी फ्लाइट से जाता था घर
संसद में हंगामा करने वाला वो आरोपी सागर शर्मा बेंगलुरू में आटे की फैक्ट्री में काम करता था. हालांकि वो बेंगलुरू से लखनऊ अपने घर फ्लाइट से आता था. सवाल ये है कि सागर शर्मा को फ्लाइट का टिकट कौन देता था, टिकट खरीदने के पैसे कहां से आए?
देश में हंगामा खड़ा करना था मकसद
इस बीच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ललित के बारे में भी बड़ा खुलासा किया है. उसकी कोर्ट में दी गई रिमांड अर्जी में बताया गया है कि ललित झा देश में अराजकता पैदा करना चाहता था. वह सरकार को मजबूर करना चाहता था, ताकि वो उसकी बात सुनने के लिए मजबूर हो जाए.
सागर और मनोरंजन को लेकर भी कुछ बड़े खुलासे हुए हैं. जांच में सागर और मनोरंजन के जूते में सुराख मिला है. दोनों के जूते की साइज को बढ़ाया गया था. सागर और मनोरंजन के जूते में बाईं तरफ सुराख पाया गया. जूते में ये बदलाव कलर स्मोक को छिपाने के लिए किया गया था.
पुलिस के अनुसार ललित झा ने मार्च में मनोरंजन को संसद भवन की रेकी को कहा था. सागर भी जुलाई में संसद भवन आया, लेकिन भीतर नहीं जा पाया. मनोरंजन और सागर ने देखा कि यहां जूतों की जांच नहीं होती है, इसलिए स्मोक कैन को जूतों में छिपाया था.
विपक्ष ने धर्म से मामले को जोड़ा
इस बीच विपक्ष में धर्म से मामले को जोड़ते हुए कई गंभीर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. संसद की सुरक्षा में चूक पर अब राजनीति भी खूब हो रही है. असुद्दीन ओवैसी और नीतीश की पार्टी के प्रमुख ललन सिंह एक अलग ही सवाल उठा रहे हैं. वह धर्म को बीच में लाकर पूछते हैं कि अगर आरोपी अल्पसंख्यक होते तो हंगामा होता. उनका कहना है कि अगर नीलम नहीं नगमा होती और अमोल की जगह अब्दुल होता तो क्या देश में संसद सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता जताई जाती ?
इसके अलावा यह भी पूछा जा रहा है कि अगर संसद की सुरक्षा पर चिंता जताकर सवाल उठाते विपक्षी सांसद हंगामा करते हैं तो उन्हें सत्र से निलंबित कर दिया जाता है लेकिन सेंध लगाने वालों को पास जारी करने की सिफारिश करने वाली बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा पर एक्शन क्यों नहीं लिया जाता है ? साथ ही पूछा जा रहा है कि सुरक्षा में घुसपैठ करके घुसने वालों को पास अगर बीजेपी सांसद की जगह विपक्ष के किसी सांसद की सिफारिश पर पास मिलता तो भी क्या होता ?
आरोपी के पिता को जानते थे बीजेपी सांसद
इस बीच आरोपियों को पास जारी करने को लेकर बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा सफाई में कह चुके हैं कि आरोपी मनोरंजन के पिता उनके जानने वाले थे, जो बेटे को नई संसद में विजिटर पास दिलाने के लिए कई दिनों से जिद कर रहे थे. सवाल उठ रहे हैं कि सागर शर्मा को भी विजिटर पास दिलाने की सिफारिश क्यों मानी गई.
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