नई दिल्ली: जैसे से संसद के मानसून सत्र की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे इस पर राजनीति भी शुरू हो रही है. सत्र के दौरान प्रश्नकाल और शून्यकाल के मामले पर विवाद शुरू हो सकता है. लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बारे में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखा है.


अधीर रंजन चौधरी ने अपने पत्र में क्या कहा है?


अधीर रंजन चौधरी ने अपने पत्र में स्पीकर से सत्र के दौरान प्रश्नकाल और शून्यकाल को बहाल रखने की मांग की है. चौधरी ने लिखा है की संसदीय व्यवस्था में प्रश्नकाल और शून्यकाल सांसदों को एक विशेष अधिकार के तौर पर मिला हुआ है, जिसमें वह सरकार से सवाल पूछने के अलावा जरूरी मुद्दों को सदन में उठाते हैं.


अधीर रंजन चौधरी ने इस बात की आशंका जताई है कि शून्यकाल के दौरान सांसदों को जरूरी मुद्दे उठाने के लिए जो नोटिस देना पड़ता है उस नोटिस की संख्या घटाई जा सकती है. उनका कहना है कि ऐसा करने से सांसदों को अपनी बात रखने का ज़्यादा मौका नहीं मिल पाएगा जिसके वह हकदार हैं.


प्रश्न काल क्या होता है?


लोकसभा की कार्यवाही प्रश्न काल से ही शुरू होती है जिसमें सदस्यों के सवालों का सरकार जवाब देती है. प्रश्नकाल के तुरंत बाद दोपहर 12 बजे से सामान्य तौर पर शून्य काल का समय शुरू होता है, जिसमें सदस्य ज्वलन्त मुद्दे उठाते हैं.


 14 सितंबर से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र


अधीर रंजन चौधरी का पत्र उस समय आया है जब 14 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को स्थगित किए जाने की चर्चा हो रही है. हालांकि इस बारे में अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. लोकसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए आज स्पीकर ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें कोरोना काल के दौरान लोकसभा की कार्यवाही के लिए नए नियमों को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है.


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