Kiren Rijiju On High Court Judges Vacancy: कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बताया है कि देश के अंदर हाईकोर्ट के जज के लगभग 30 प्रतिशत पद खाली हैं. उच्च न्यायालयों में 1114 जजों की स्वीकृत संख्या है और वर्तमान में 780 पद भरे हुए हैं जबकि 334 पद खाली हैं. उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालयों में 334 पदों के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम की 118 सिफारिशें चरणों में हैं, जबकि सरकार को अभी तक 216 वेकेंसी के लिए सिफारिशें नहीं मिली हैं.


लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि 10 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में कोई पद खाली नहीं था. 25 उच्च न्यायालयों में 1,114 न्यायाधीशों की स्वीकृत हैं, जिसमें 780 न्यायाधीश काम कर रहे थे जिसमें 334 की कमी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में उच्च न्यायालय द्वारा अनुशंसित कुल 118 प्रस्ताव हैं.


इस वजह से हैं रिक्तियां


रिजिजू ने आगे कहा कि उच्च न्यायालयों में रिक्तियों को भरना एक सतत, एकीकृत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है जिसके लिए विभिन्न संवैधानिक प्राधिकरणों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है, सेवानिवृत्ति, इस्तीफे या शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की पदोन्नति के कारण रिक्तियां उत्पन्न होती रहती हैं.


उन्होंने कहा कि सरकार समयबद्ध तरीके से रिक्तियों को तेजी से भरने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है कि नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों के उपयुक्त उम्मीदवारों पर उचित विचार किया जाए साथ ही और महिलाओं पर भी विचार किया जाए.


एमओपी में समय सीमा निर्धारित नहीं


कानून मंत्री ने आगे कहा कि पूरे देश में न्याय के बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए सभी तबादले जनहित में किए जाने चाहिए. एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है. बता दें कि एमओपी दस्तावेजों का एक समूह है जो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण, पदोन्नति और नियुक्ति का मार्गदर्शन करता है.


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