नई दिल्ली: 14 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र के दौरान प्रश्न काल को स्थगित करने का फ़ैसला लिया गया है. इस फ़ैसले पर टीएमसी, कांग्रेस और सीपीएम जैसी विरोधी पार्टियों ने सख़्त ऐतराज़ और विरोध जताया था. विपक्ष के इस विरोध का असर हुआ है. लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक इस फ़ैसले में बदलाव किया गया है. दोनों सदनों में अब सदस्यों को अतारांकित यानि लिखित सवाल पूछने की इजाज़त दे दी गई है.
अतारांकित या लिखित प्रश्न वो होते हैं जिनका सदस्यों को लिखित जवाब ही दिया जाता है. इन प्रश्नों का मौखिक सवाल नहीं दिया जाता. ऐसे प्रश्नों को पूछने के लिए सदस्यों को 15 दिन पहले नोटिस देना पड़ता है लेकिन इस बार नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं. सदस्यों से कहा गया है कि वैसे प्रश्नों का नोटिस 4 सितंबर तक दे दिया जाए जिनके लिखित जवाब सदन में 14 , 15 और 16 सितंबर को दिए जाएंगे.
विरोध के बाद सरकार ने की पहल
कोरोना से बचाव के तहत इस बार हर सदस्य को अपने प्रश्न का नोटिस ऑनलाइन भेजने के लिए कहा गया है. सूत्रों के मुताबिक़ लिखित सवाल जवाब को बहाल करने की पहल सरकार की ओर से बुधवार को शुरू की गई. तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम के विरोध के बाद सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने राज्यसभा सभापति और लोकसभा स्पीकर को सरकार की मंशा से अवगत कराते हुए कहा कि सरकार लिखित सवाल जवाब के लिए तैयार है. हालांकि सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि प्रश्नकाल को स्थगित करने का फ़ैसला सभी दलों से विचार विमर्श के बाद ही किया गया था.
टीएमसी ने किया था विरोध
प्रश्नकाल को स्थगित किए जाने के फ़ैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना महामारी के बहाने सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह सरकार का एकतरफा फैसला है और इस पर पहले सर्वदलीय बैठक में बातचीत होनी चाहिए थी.
अधीर रंजन चौधरी ने लिखी थी चिट्ठी
लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस के सदन में नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुछ दिनों पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखा था. उस पत्र में चौधरी ने लोकसभा स्पीकर से प्रश्नकाल और शून्यकाल संगीत नहीं किए जाने की मांग की थी. विपक्षी नेताओं का कहना है कि प्रश्नकाल के दौरान सांसदों को सरकार से सवाल जवाब करने का मौका मिलता है जिससे सरकार की जवाबदेही तय होती है.