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Parliament Special Session: विशेष सत्र में एक-दूसरे को घेरने की रणनीति तैयार, BJP-कांग्रेस ने व्हिप किए जारी, इस बिल पर सबसे ज्यादा हंगामे के आसार

Special Session News: पांच दिवसीय संसद सत्र की कार्यसूची को लेकर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं. विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक बुलाया गया है.

Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासी घमासान जारी है. केंद्र सरकार ने बुधवार को इस सत्र में पेश किए जाने वाले चार विधेयकों की सूची जारी की थी. जिसके बाद राजनीति और गर्मा गई. पहले कांग्रेस (Congress) और फिर गुरुवार (14 सितंबर) को टीएमसी (TMC) ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पर्दे के पीछे कुछ और ही चल रहा है. जानिए विशेष सत्र की हलचल से जुड़ी बड़ी बातें. 

सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र की एक संभावित कार्यसूची की घोषणा के एक दिन बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अभी तक पूरी कार्यसूची का खुलासा नहीं किया गया है. सरकार कुछ 'तिकड़म' कर कार्यसूची में और कामकाज शामिल कर सकती है. 

टीएमसी ने एजेंडे को लेकर साधा निशाना

डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कार्यसूची में उन्होंने एक बहुत ही डराने वाली लाइन लिखी है. इसमें लिखा है कि ये पूरी कार्यसूची नहीं है. इसलिए वे अंतिम क्षणों में इसमें और भी कुछ जोड़ सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि सत्र के एजेंडे से केवल दो लोग ही अवगत हैं और हम अभी भी खुद को संसदीय लोकतंत्र कहते हैं. 

इन चार बिलों को किया गया लिस्ट

संसद के विशेष सत्र को लेकर लोकसभा सचिवालय की ओर से बुधवार को ये सूची जारी की गई थी. इसमें लिखा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े बिल को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश किया जा सकता है. साथ ही एडवोकेट बिल, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल और पोस्ट ऑफिस बिल को भी लिस्ट किया गया है. 

कांग्रेस ने भी सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

पांच दिवसीय संसद सत्र की कार्यसूची को लेकर कांग्रेस की ओर से भी सवाल उठाए हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि कांग्रेस के दबाव के बाद मोदी सरकार ने विशेष सत्र के एजेंडे की घोषणा करने की कृपा की. 

"पर्दे के पीछे कुछ और है"

उन्होंने कहा कि फिलहाल जो एजेंडा दिया गया है, उसमें कुछ भी नहीं है और इन सबके लिए नवंबर में शीतकालीन सत्र तक इंतजार किया जा सकता था. मुझे यकीन है कि विधायी 'हथगोले' हमेशा की तरह आखिरी क्षण में फूटने के लिए तैयार हैं. पर्दे के पीछे कुछ और है. 

विपक्षी गठबंधन इंडिया ने इस सत्र को लेकर कहा है कि वे सत्र में देश से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग करना चाहते हैं, लेकिन सरकार को ये बताना चाहिए कि इसका विशेष एजेंडा क्या है. 

सोनिया गांधी ने पीएम को लिखा खत

वहीं, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पिछले दिनों पीएम मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि विशेष सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, जातीय जनगणना, चीन के साथ सीमा पर गतिरोध और अडाणी समूह से जुड़े नए खुलासों की पृष्ठभूमि में जेपीसी गठित करने की मांग समेत नौ मुद्दों पर उचित नियमों के तहत चर्चा कराई जाए.

निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति वाले बिल पर घमासान

सरकार की ओर से जिन बिलों को लिस्ट किया गया है उनमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा बिल ज्यादा चर्चा में है. ये बिल हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था. विपक्ष ने तब इसपर खूब हंगामा किया था. 

इंडिया गठबंधन के दल करेंगे विरोध

दरअसल, इसमें प्रावधान है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति की ओर से प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और पीएम की ओर से नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिश पर की जाएगी. इस समिति में चीफ जस्टिस की जगह पर एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रस्ताव है. अब विशेष सत्र में भी इस बिल पर हंगामे के पूरे आसार हैं क्योंकि कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि इंडिया गठबंधन के दल इस विधेयक का विरोध करेंगे. 

संसद की 75 वर्षों की उपलब्धियों पर होगी चर्चा

विशेष सत्र के दौरान संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर भी चर्चा होगी. लोकसभा सचिवालय की ओर से बुधवार को जारी बुलेटिन में बात कही गई. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार, विशेष सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में होगी और अगले दिन कार्यवाही नए भवन में होने की संभावना है. 

बीजेपी और कांग्रेस ने जारी किए व्हिप 

इस सत्र को लेकर मुख्य दलों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. बीजेपी ने गुरुवार को अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर सत्र के दौरान अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है. पार्टी नेताओं ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को व्हिप जारी किया गया है. बता दें कि, व्हिप किसी राजनीतिक पार्टी की ओर से जारी एक लिखित आदेश होता है जो पार्टी के सदस्यों को मानना होता है. 

कांग्रेस ने भी अपने लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों को सदन में मौजूद रहने को लेकर व्हिप जारी किया है. तीन लाइन के इस व्हिप में कहा गया है कि कांग्रेस के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे 18 सितंबर से 22 सितंबर तक सदन की कार्यवाही के दौरान उपस्थित रहें और पार्टी के रुख का समर्थन करें. 

एक दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक 

सत्र शुरू होने से एक दिन पहले यानी 17 सितंबर को सरकार ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को इस बारे में जानकारी देते हुए एक्स पर पोस्ट कर लिखा था कि ससंद के सत्र से पहले 17 तारीख को शाम साढ़े चार बजे सभी दलों के सदन के नेताओं की बैठक बुलाई गई है. 

इन बिलों को लेकर तेज हैं अटकलें

केंद्र सरकार की ओर से 31 अगस्त को स्पेशल सेशन बुलाने की घोषणा की गई थी. तभी से विपक्षी दल सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं. सियासी गलियारों में भी कई तरह की अटकलें तेज हैं. इनमें कहा जा रहा है कि इस सत्र में सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी), महिला आरक्षण से जुड़े बिल, 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर भी कोई कदम उठा सकती है. बहरहाल, विशेष सत्र में क्या होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. 

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