नई दिल्लीः रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को लोकसभा में पेश एक रिपोर्ट में कहा कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले वर्ष जून में भारतीय सैनिकों ने जिस पराक्रम और साहस का परिचय दिया, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है.


केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने की प्रशंसा


केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, ‘‘भारत की सेना निस्संदेह ही राष्ट्र के हितों, संप्रभुता की रक्षा, क्षेत्रीय अखंडता और देश की एकता के लिए पूरी तरह से समर्पित है. सीमा के दोनों ओर मौजूदा चुनौतीपूर्ण दौर में, सेना ने चुनौतियों का सामना करने में महान साहस का परिचय दिया है.’’


चीन के सैनिकों के साथ हुई थी झड़प 


कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ झड़प में भारत के बीस जवान शहीद हो गए थे. महीनों तक चुप्पी साधे रखने के बाद पिछले महीने चीन ने माना था कि झड़प में उसके पांच सैन्यकर्मी मारे गए थे. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीन के लगभग 35 सैनिक हताहत हुए.


डिसइंगेजमेंट समझौते के तहत वापस जा रहा चीन


बता दें कि डिसइंगेजमेंट समझौते के तहत चीनी सेना को फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का पूरा इलाका खाली करना था. इसके अलावा जितना भी डिफेंस-फोर्टिफिकेशन पिछले नौ महीने में किया था, वो सब तोड़ना है. वहीं अमेरिका के एक टॉप कमांडर ने अपने देश के सांसदों से कहा कि चीन अभी भी एलएसी पर कई हिस्सों से पीछे नहीं हटा है. जहां चीन ने सीमा पर विवाद के दौरान कब्जा कर लिया था.


फिलहाल चीनी और भारतीय सेना ने लद्दाख में पैंगोंग त्सो के आसपास विवादित सीमा के कुछ हिस्सों से अपने-अपने सैनिकों को वापस ले लिया है. लेकिन पैंगोंग सो क्षेत्र में एलएसी के पास विवाद के बाद, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र, देमचोक और देपसांग मैदानों में अन्य विवादों पर कोई प्रगति नहीं हुई है.


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