नई दिल्ली: आवास और शहरी विकास मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद भवन और आसपास की दूसरी ऐतिहासिक इमारतों के पुनर्विकास की योजना के मद्देनजर कहा है कि राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. पुरी ने कहा कि इसकी अनुमानित लागत 448 करोड़ रुपये से काफी कम है जो 229.7 करोड़ रुपए है. कंसल्टिंग कॉस्ट आमतौर पर कुल लागत का 3 से 5 प्रतिशत होता है. फिलहाल उन्होंने इसका कोई भी आंकड़ा देने से इनकार कर दिया है.
पुरी ने शुक्रवार को संसद भवन पुनर्विकास योजना के तहत बनने वाली इमारतों के डिजाइन बनाने सहित और कामों की जिम्मेदारी गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली कंपनी एचसीपी डिजाइन को सौंपने की जानकारी देते हुए बताया कि संसद भवन और नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक अपने मूल स्वरूप में बरकरार रहेंगे. इनके इस्तेमाल में बदलाव हो सकता है. पुरी ने बताया कि 1921 में संसद भवन का निर्माण शुरु हुआ था, इसलिए इस इमारत के 100 साल पूरे होने जा रहे हैं. जगह की कमी और दूसरी जरूरतों के मद्देनजर नई इमारत की जरूरत महसूस की जा रही है.
पुरी ने कहा कि संसद भवन, केन्द्रीय सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच तीन किमी के इलाके (सेंट्रल विस्टा) के पुनर्विकास की योजना को आगे बढ़ाते हुए मंत्रालय ने इसके डिजाइन की अंतरराष्ट्रीय निविदा आमंत्रित की थी. इसमें देश दुनिया से लगभग 50 प्रस्ताव मिले. इनमें से एचसीपी सहित छह कंसल्टेंट कंपनियों के प्रस्तावित डिजाइन को चुना गया.
वहीं आवास और शहरी विकास सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने बताया कि जनता सहित सभी पक्षकारों के साथ बातचीत के बाद अगले साल मई से पहले डिजाइन को अंतिम रूप देकर बनाने का कार्य शुरु करने की निविदा जारी कर दी जाएगी. उन्होंने बताया कि परियोजना का डिजाइन अगले 250 साल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये तैयार किया जाएगा.
निर्माण को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा जिसमें पहला नवंबर सेंट्रल विस्टा नवंबर 2021, संसद भवन के पुनर्विकास को साल 2022 में और केंद्रीय सचिवालय का काम साल 2024 में पूरा किया जाएगा.