Parliament Winter Session 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (16 दिसंबर) को राज्यसभा में संविधान पर दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत की. इस दौरान 1 घंटे 20 मिनट तक भाषण दिया. अपने इस भाषण में उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस परिवार और वंशवाद की मदद के लिए संविधान में संशोधन करती रही है.
राज्यसभा में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने संविधाान में जो संशोधन किए वह लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे.
'समय की कसौटी पर खरा उतरा है हमारा संविधान'
संविधान पर चर्चा पर राज्य सभा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उन्होंने अपना संविधान लिख लिया था। लेकिन कई लोगों ने अपने संविधान को बदल दिया है, न केवल उनमें संशोधन किया है बल्कि वस्तुतः उनके संविधान की संपूर्ण विशेषता को बदल दिया है। लेकिन हमारा संविधान निश्चित रूप से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसमें कई संशोधन हुए हैं.
'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की थी कोशिश'
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा,, ”1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका ‘क्रॉस रोड्स’ और आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन इसके जवाब में, (तत्कालीन) अंतरिम सरकार ने सोचा कि पहले संविधान संशोधन की जरूरत है. इसे कांग्रेस द्वारा लाया गया था. यह अनिवार्य रूप से स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए था. इसलिए भारत, एक लोकतांत्रिक देश जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, ने पहली अंतरिम सरकार को एक संविधान संशोधन के साथ आते देखा. इसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था.”
'मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी को भेजा जेल'
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था। 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता पढ़ी जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई थी और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा. उन्होंने इसके लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं है. 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई एक राजनीतिक जीवनी "नेहरू" पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्होंने "किस्सा कुर्सी का" नामक फिल्म पर भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाया गया था."