राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को शीतकालीन सत्र के 17वें दिन यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात की. राज्यसभा में उन्होंने कहा कि देश में नाम और सरनेम से बहुत कुछ तय हो रहा है. अगर नाम में खालिद, हैदर है तो आप जेल में रहोगे और आपकी सुनवाई नहीं होगी. उन्होंने सेप्टिक टैंक में होने वाली मौतों का भी मुद्दा उठाया.


मनोज झा ने कहा, 'फ्रीडम की जब बात हो तो हम मूल्यांकन करें. इस देश में नाम और सरनेम से भी चीजें तय होती हैं. खालिद नाम है तो जेल में रहोगे, सुनवाई नहीं होगी. हैदर नाम है सुनवाई नहीं होगी. शरजील इमाम नाम है तो सुनवाई नहीं होगी. गुल फिशा नाम होगा तो सुनवाई नहीं होगी तो ये सारी चीजें हैं.'  


उन्होंने यूसीसी पर बात करते हुए कहा कि इनकम इनक्वैलिटी का देश में जो आलम है हम टाइम बम पर बैठे हुए हैं. ये सबको प्रभावित कर रहा है, सिर्फ गरीब और मध्यमवर्ग को ही नहीं. उन्होंने कहा कि अभी प्रोफिट मेकिंग कंपनियों को लेकर एक रिपोर्ट आई थी, लेकिन उनके प्रोफिट का एंप्लॉय की सैलरी में कोई रिफलेक्शन नहीं है.


मनोज झा ने आगे कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मैंने पढ़ा और उसे लेकर कई विचार थे, लेकिन सबसे प्रमुख विचार ये था कि उसे रखो किसी दिन इस पर बात होगी. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 44 से पहले आर्टिकल 39(C) है, जो अबाउट कंसनट्रेशन ऑफ वेल्थ (धन का संकेद्रण) की बात करता है. आप आर्टिकल 44 तक पहुंचिए यूनिफॉर्म सिविल कोड तक, लेकिन रास्ते में एक मील का पत्थर है आर्टिकल 39 सी. वहां रुकिए और सोचिए कि कहीं प्राइवेट प्लेयर्स ऐसे न हो जाएं कि एक को चादर से ढकने के चक्कर में पूरा देश नग्न सच्चाई से रूबरू होता रहे. ये नहीं होना चाहिए.


सीवर की सफाई करने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि खुदाई चल रही है इस देश में. एक खुदाई हम सब सांसद मिलकर करें. वो जो सेप्टिक टैंक और सीवर में उतरकर जहरीली गैस से मरने वाले लोग ये कौन हैं? ये एक हैं तो सेफ हैं में नहीं आते? ये हमारा हिस्सा नहीं हैं? ये हमारे समाज का हिस्सा हैं, हां ये अव्वल बात है कि हमारी जातिगत पदानुक्रम में ये नीचे आते हैं तो उन पर हम थोड़ा कम गौर करते हैं ये नहीं होना चाहिए.


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