Parliament Winter Session: भारतीय संसद लगातार हो रहे हंगामे के बीच सदगुरु ने एक बयान दिया है. बता दें कि सदगुरु ने अपने बयान में भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है. उनका कहना है कि वे देश के असली धनकुंभ हैं जो रोजगार पैदा करते हैं और आर्थिक विकास में योगदान देते हैं. ऐसे में व्यापारियों को राजनीति का शिकार बनाना न केवल गलत है बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. अगर किसी व्यापारी से संबंधित कोई समस्या है तो उसे कानूनी ढंग से हल किया जाना चाहिए न कि उसे राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा बना दिया जाए.
अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए व्यापारियों का समर्थन बेहद जरूरी
सदगुरु ने यह भी कहा कि भारतीय व्यवसायों का समृद्ध होना भारत के भविष्य के लिए जरूरी है. भारत तभी एक 'भव्य भारत' बन सकता है जब यहां के व्यापारी और उद्योगपति प्रगति करेंगे और अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करेंगे. देश में निवेश और व्यापार के लिए अनुकूल माहौल बनाने से ही भारत वैश्विक मंच पर एक मजबूत ताकत बन सकता है. इसके लिए हमें सभी राजनीतिक और सामाजिक अवरोधों को पार करना होगा और एक सकारात्मक वातावरण बनाना होगा जहां व्यवसाय बिना किसी डर या रुकावट के अपना काम कर सकें.
किसी भी विवाद को संसद में राजनीतिक फुटबॉल न बनाए
सदगुरु ने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि कोई भी विवाद या समस्या है तो उसे कानून के दायरे में सुलझाया जाना चाहिए न कि उसे संसद में राजनीतिक फुटबॉल बनाने दिया जाए. इससे न केवल संसद की कार्यवाही प्रभावित होती है बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भी विघ्न पैदा होता है. इस समय हमें अपने लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए भारतीय व्यवसायों को प्रोत्साहित करने और उनका सम्मान करने की जरूरत है.
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