(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
संसद का शीतकालीन सत्र: आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी पर सरकार को घेरेगा विपक्ष, PM बोले- हर मुद्दे पर चर्चा के लिये तैयार
संसद का शीतकालीन सत्र कल से शुरू होकर 13 दिसंबर तक चलेगा. मोदी सरकार इस सत्र में नागरिकता (संशोधन विधेयक) समेत अन्य बिल पास कराने की कोशिश करेगी. वहीं विपक्षी पार्टियां आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी और कश्मीर के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है.
नई दिल्ली: कल से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र के काफी गर्मागर्म रहने की संभावना है. विपक्षी दल जहां आर्थिक सुस्ती और कश्मीर में स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में हैं वहीं मोदी सरकार विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराना चाहेगी. नागरिकता (संशोधन) विधेयक बीजेपी के एजेंडे का अहम हिस्सा है.
'हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार सरकार' संसद सत्र से पहले आज सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिये तैयार है. उन्होंने शीतकालीन सत्र को पिछले सत्र की तरह ही कारगर बनाने के लिये प्रोत्साहित किया. पिछले सत्र में संसद से कई अन्य अहम विधेयकों के अलावा जम्मू कश्मीर राज्य के बंटवारे और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने पर सहमति मिली थी.
फारुक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठा कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद सहित विपक्षी नेताओं ने जम्मू कश्मीर में फारुक अब्दुल्ला जैसे मुख्यधारा के नेताओं को लगातार हिरासत में रखे जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि वे आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को सत्र में उठायेंगे. संसद का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा.
कांग्रेस की मांग लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में, विपक्ष ने मांग की कि सत्र के दौरान आर्थिक सुस्ती, बेरोजगारी और कृषि संकट के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए. विपक्षी नेताओं ने फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठाया और मांग की कि उन्हें सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जाए. सूत्रों ने कहा कि सरकार की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिली.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा और बहस करना है तथा यह सत्र भी पिछले सत्र की तरह फलदायी होना चाहिए. जोशी ने मोदी के हवाले से कहा, ‘‘सरकार सदनों के नियमों और प्रक्रियाओं के दायरे में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है.’’
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने पिछले सत्र में खासकर राज्यसभा में जहां सत्ता पक्ष बहुमत में नहीं है, वहां स्वतंत्र क्षेत्रीय दलों और कई विरोधी नेताओं को अपने पाले में कर कई विधेयकों को पारित कराकर विपक्ष को चकित कर दिया था. हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों से कांग्रेस के नेतृत्व वाले समूह का उत्साह बढ़ा है. हाल के विधानसभा चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, शिवसेना के साथ बीजेपी का संबंध टूटना और आर्थिक सुस्ती पर रिपोर्ट ने हवा का रुख विपक्षी दलों के पाले में कर दिया है.
विपक्ष में शिवसेना लंबे समय से सहयोगी रही बीजेपी के साथ संबंध खत्म होने के बाद महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिये शिवसेना के कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ बातचीत जारी रखने के बीच लोकसभा में उसके 18 सांसदों और राज्यसभा में तीन सदस्यों को अब विपक्ष की पंक्तियों में सीटें आवंटित की गई हैं.
हालांकि बीजेपी अपने विधायी एजेंडे पर संसद की मंजूरी को लेकर आश्वस्त दिख रही है. मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में ऊपरी सदन में विपक्ष का बहुमत होने के कारण विधेयकों को पारित कराने में मुश्किल आयी थी. अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने बीजेपी का मनोबल बढ़ाया है.
सरकार की लिस्ट में है 27 बिल मोदी सरकार इस सत्र में 27 बिल को लाने की तैयारी में है. सरकार ने नागरिकता (संशोधन विधेयक) को इस सत्र में पारित कराने के लिये सूचीबद्ध किया है, जिसका उद्देश्य पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को राष्ट्रीयता प्रदान करना है. मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को पेश किया था लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका.
DETAILS: कल से शुरू होने वाले संसद सत्र में इन 27 बिल को लाने की तैयारी में है सरकार
विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये जाने के कारण संबंधित देश से पलायन करने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध हो रहा है, जहां अधिकतर हिंदू प्रवासी रह रहे हैं.
सरकार की दो अहम अध्यादेशों पर भी स्वीकृति पाने की योजना है. आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2019 में संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए सितंबर में एक अध्यादेश जारी किया गया था जिसका उद्देश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर आर्थिक सुस्ती को रोकना और विकास को बढ़ावा देना है.
दूसरा अध्यादेश भी सितंबर में जारी किया गया था जिसमें ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद की बिक्री, निर्माण और भंडारण पर प्रतिबंध लगाया गया है.
पिछले सत्र में अधिक हुए थे विधायी काम लोकसभा चुनाव में मिले अपार जनादेश के साथ सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी नीत एनडीए सरकार का यह इस कार्यकाल में दूसरा संसद सत्र है. संसद के पहले सत्र के दौरान फौरी तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय बनाने, राष्ट्रीय जांच एजेंसी को और अधिक शक्तियां देने जैसे कई अहम विधेयक दोनों सदनों में पारित हुए. इस दौरान जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने और इसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों-जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव भी दोनों सदनों में पारित हुआ.
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1952 के बाद से इस सत्र में सबसे अधिक कामकाज हुआ था और 35 विधेयक पारित किये गये. राज्यसभा में कुल 32 विधेयक पारित हुए. दोनों सदनों ने जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने और इसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित करने के प्रस्ताव को भी पारित किया.
शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक अन्य सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें विपक्ष ने कहा कि वह सरकार से आर्थिक सुस्ती, किसानों के संकट, बेरोजगारी और अगस्त में जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाये जाने के बाद की स्थिति पर सरकार से जवाब मांगेगा.
बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘उम्मीद है कि यह संसद सत्र भी कामकाज के लिहाज से उत्कृष्ट रहेगा, जहां जन-केंद्रित एवं विकासोन्मुखी मुद्दों पर चर्चा होगी.’’ सत्र के दौरान 26 नवंबर को संविधान दिवस पर दोनों सदनों की एक विशेष संयुक्त बैठक की भी योजना है.