Parliament Session: कृषि कानूनों की वापसी का बिल पास, 12 सांसदों का निलंबन और विपक्ष का विरोध, पढ़ें संसद सत्र के पहले दिन की 10 बड़ी बातें
Parliament Winter Session News: किसान कानूनों की वापसी वाला बिल पास, विपक्ष का चर्चा की मांग पर हंगामा और 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए किया गया निलंबित.
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन कई मायनों में खास रहा. केंद्र सरकार ने पहले ही दिन विवादित कृषि कानूनों को खत्म करने वाला बिल दोनों सदनों से पास करा लिया. इसके अलावा पिछले सत्र में हंगामा करने के आरोप में 12 राज्यसभा सांसदों को मौजूदा सत्र से निलंबित कर दिया गया. इस फैसले के खिलाफ विपक्ष एकजुट दिखा और निलंबन की निंदा की. हालांकि विपक्ष ने जो साझा बयान जारी किया उसमें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई, जबकि उनकी पार्टी के भी दो सांसदों को निलंबित किया गया है. इन सब के बीच विपक्ष लगातार चर्चा की मांग और अन्य मुद्दों को लेकर संसद में हंगामा करता रहा.
नवनिर्वचित सदस्यों को शपथ दिलाई गई
राज्यसभा की बैठक सुबह 11 बजे शुरू होने के बाद नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई गई. फिर सभापति एम वेंकैया नायडू ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और उच्च सदन के वर्तमान सदस्य ऑस्कर फर्नाडीज और पांच पूर्व सदस्यों के निधन का जिक्र किया. बैठक फर्नाडीस और पांच पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के बाद 11 बज कर 20 मिनट पर एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई.
तीन कानूनों को खत्म करने वाला बिल दोनों सदनों से पास
विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच लोकसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पारित हुआ. बिल को बिना चर्चा के ही मंजूरी दे दी गई. तीनों विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए लोकसभा में पेश विधेयक पटल पर रखे जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर पारित हो गया. लोकसभा के बाद राज्यसभा में बैठक काफी हंगामेदार रही, जिसमें विपक्ष के शोरगुल के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म करने संबंधी एक विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गया.
कृषि मंत्री ने क्या कहा?
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद किसानों के कल्याण के लिए इन कानूनों को लेकर आई थी. उन्होंने कहा ‘‘लेकिन दुख की बात है कि कई बार प्रयत्न करने के बावजूद वह किसानों को समझा नहीं सकी.’’
सत्र शुरू होने से पहले पीएम ने कही ये बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में देश हित में चर्चा हो और राष्ट्र की प्रगति के लिए रास्ते खोजे जाएं. उन्होंने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने को तैयार है, बशर्ते सदन में शांति बनायी रखी जाए और सदन व आसन की गरिमा के अनुकूल आचरण किया जाए. सत्र की शुरुआत से पहले संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संसद में सवाल भी हों और संसद में शांति भी हो. हम चाहते हैं संसद में सरकार के खिलाफ, सरकार की नीतियों के खिलाफ, जितनी आवाज प्रखर होनी चाहिए वह हो, लेकिन संसद की गरिमा, अध्यक्ष व आसन की गरिमा... इन सब के विषय में हम वह आचरण करें, जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी के काम आए.’’ उन्होंने कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है.
विपक्ष का हंगामा
लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया. दोपहर दो बजे जैसे ही उच्च सदन की कार्यवाही शुरू हुई वैसे ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधेयक को पेश करते हुए इसे पारित करने का प्रस्ताव रखा. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह कृषि विधि निरसन विधेयक का स्वागत करते हैं और कोई इसके विरोध में नहीं है क्योंकि यह किसानों का मुद्दा है. निरस्त किए गए तीनों कानूनों को काला कानून करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एक साल तीन महीने के बाद आपको (सरकार) ज्ञान प्राप्त हुआ और आपने कानूनों को वापस लेने का फैसला किया.’’ राज्यसभा से बिल पास होते ही सभा आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गई.
राहुल गांधी ने सरकार पर लगाया आरोप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने संबंधी विधेयक को चर्चा के बिना पारित किए जाने के बाद सरकार पर चर्चा से डरने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस सरकार पर कुछ ऐसे लोगों के समूह का कब्जा है जो गरीब विरोधी है और किसानों-मजदूरों के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि इन कानूनों का निरस्त किया जाना किसानों, मजदूरों की देश की जीत है और अब सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत उनकी अन्य मांगें भी स्वीकार करनी चाहिए. राहुल गांधी ने संसद के बाहर कहा, ‘‘हमने कहा था कि तीनों काले कानून को वापस लेना पड़ेगा. हमें मालूम था कि तीन-चार बड़े पूंजीपतियों की ताकत देश के किसानों के सामने टिक नहीं सकती. यही हुआ कि तीनों कानूनों को निरस्त करना पड़ा. यह किसानों और मजदूरों की सफलता है, एक प्रकार से देश की सफलता है.’’
12 सासंदों को निलंबित किया गया
संसद सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 राज्यसभा सदस्यों को पिछले मानसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने के लिए, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया. उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी. जिन सदस्यों को निलंबित किया गया, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं.
निलंबन के खिलाफ एकजुट हुआ विपक्ष
कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों ने पिछले मानसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने के लिए राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने की निंदा करते हुए कहा कि सरकार के इस अधिनायकवादी फैसले के खिलाफ आगे की रणनीति तय करने के लिए वे, मंगलवार को बैठक करेंगे. कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, लोकतांत्रिक जनता दल, जनता दल (सेक्युलर), एमडीएमके, तेलंगाना राष्ट्र समिति, और आम आदमी पार्टी ने संयुक्त बयान जारी कर सांसदों के निलंबन की निंदा की है. विपक्षी दलों ने कहा, ‘‘राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेता मंगलवार को बैठक करेंगे और सरकार के अधिनायकवादी फैसले का विरोध करने तथा संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे के कदम पर विचार करेंगे.’’
किसानों की हुई बैठक
संसद में कानून वापसी के बीच सिंघु बॉर्डर पर सोमवार को पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक पंजाब के कुछ किसान संगठन चाहते हैं कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब आंदोलन खत्म करना चाहिए. वहीं कुछ संगठन एमएसपी कानून समेत अन्य बाकी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने के पक्ष में हैं. आम राय बनाने की कवायद जारी है.
राकेश टिकैत ने कही ये बात
दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि एमएसपी के लिए भी आंदोलन करेंगे. अन्य और बाहरी देशों में किसान आंदोलन होगा. उन्होंने कहा कि देश के बाहर भी आंदोलन होगा, विदेशों में आंदोलन होगा. उन्होंने कहा कि MSP गारंटी, मुआवजा और मुकदमा वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन. आगे की रणनीति को लेकर 1 दिसंबर को किसानों की बैठक होगी.