Parliament Winter Session: 'थाली में इंफ्लेशन नहीं जाता साहब, रोटियां जाती हैं', महंगाई पर मनोझा झा ने केंद्र को घेरा, डबल इंजन पर कही यह बात
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र में सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बेरोजगारी और गरीबी को लेकर सवाल किए.
Parliament Winter Session 2022: आरजेडी सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर केंद्र सरकार को घेरा. साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया कि बेरोजगारी खत्म करने को लेकर उनका ब्लू प्रिंट क्या है? साथ ही उन्होंने पूछा कि यह कौन लोग थे जिन्होंने डबल इंजन शब्द का अविष्कार किया.
सांसद मनोज झा ने कहा, ''मुझे समझ नहीं आता कि यह कौन महापुरुष लोग थे जिन्होंने डबल इंजन शब्द का अविष्कार किया. यह इतनी डिजायरेबल (आकर्षक) चीज होती तो संविधान सभा की बैठकों में भी डबल इंजन की बात हुआ करती कि पूरे देश में डबल इंजन होना चाहिए है. कांग्रेस की बहुमत की सरकार रही लेकिन कभी वो डबल इंजन की पैरोकार नहीं रही.''
'मां बीमार चल रही है'
सांसद मनोज झा ने कहा कि आज डबल इंजन चलता है, जहां डबल का एक इंजन बदल गया वहां ट्रबल इंजन बनाने की कोशिश होती है. यह चिंता का विषय है. उन्होंने आगे बताया कि परसों इंदौर से आते वक्त एयरपोर्ट पर देखा मदर ऑफ डेमोक्रेसी होस्ट जी-20. यह बहुत ही गर्व का पल था, लेकिन यह मां बीमार चल रही है. हमारी मां दुखी है क्योंकि उसके बच्चे किसान और सरहद पर खड़े जवान सुरक्षित नहीं है. ना ही देश का श्रमिक महफूज है ना ही युवा महफूज है तो ऐसे में मां कैसे खुश होगी.
वित्त मंत्री से किए यह सवाल
सांसद मनोज झा ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो देख नहीं पा रही वो मैं बताता हूं. साल 2011 से गरीबी का आकंड़ा नहीं है. हर क्षेत्र में गरीबी बढ़ रही है. न्यूनतम मजदूरी 178 रुपये पर टिकी हुई है. क्या इस देश में यह उचित है. महंगाई की चर्चा तेरे मेरे की डिबेट में ना हो. चर्चा होनी चाहिए है गरीब की थाली में महंगाई का कितना असर है. रोटियां कितनी कम हो रही है. सब्जियां कितनी कम हो रही है. दाल कितनी पतली हो रही है. यह होती महंगाई की बात. थाली में इंफ्लेशन नहीं परोसा जाता कि साहब 1.5 प्रतिशत इंफ्लेशन और 4.5 फीसदी इंफ्लेशन है. साहब थाली में रोटी जाती है.
पूछा क्या है ब्लू प्रिंट?
सांसद मनोज झा ने कहा कि सरकार आंकड़ा प्रबंधन में माहिर है, जहां उसके मुताबिक आंकड़ा होता है वहां वो अपना लेती. हर दो घंटे में किसान आत्महत्या करते हैं. हम बेरोजगार होते तो हमारी चिंता रोजगार पाना होता है. मेरी आस्था धर्म है लेकिन मेरा जीवन रोजी-रोटा से चलेगा. उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया कि रोजगार को लेकर आपका ब्लू प्रिंट क्या है?
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