Parliament Winter Session: सरकार ने बुधवार (7 दिसंबर) को संसद में कहा कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में इसकी जानकारी दी.


प्रतिमा भौमिक ने सुप्रीम कोर्ट के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत के आरक्षण बरकरार रखे जाने के करीब एक महीने बाद यह टिप्पणी की है. सरकार से सवाल किया गया था कि क्या सरकार की कोई योजना आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा में छूट देने की है? इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है.


मामला क्या है? 


सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने को लेकर सात नवंबर को फैसला सुनाया था. साल 2019 में पेश किए गए ईडब्ल्यूएस आरक्षण को बरकरार रखने की घोषणा करने वाली संविधान पीठ के सभी पांच न्यायाधीशों ने यह जवाब दिया था कि 103वें संविधान संशोधन को संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता.


बता दें कि तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने सोमवार (5 दिसंबर) को ईडब्लूयएस आरक्षण को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की. इसके मुताबिक, ‘‘यह कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से त्रुटि है क्योंकि यह इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले में नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा 1992 में दिए गए फैसले को सीधे तौर पर निष्प्रभावी करता है...जिसमें यह घोषणा की गई थी कि आरक्षण आर्थिक आधार पर नहीं हो सकता और इस तरह की व्याख्या अनुच्छेद 14,15 (1) और 16(1) के आधार पर की गई थी, न कि केवल अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के आधार पर.’’


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