नई दिल्ली: चाइल्ड पोर्नोग्राफी आज के समय में एक बड़ी समस्या बन गई है. टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के इस दौर में दुनिया भर में इसके फैलते कारोबार पर चिंता है और अमेरिका समेत ज़्यादतर देशों में इसे अपराध घोषित किया गया है. इस मामले के प्रसार पर राज्यसभा की एक समिति ने गहरी चिंता प्रकट की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मसले पर कठोर कानून बनाने के साथ इसके विषय में जागरूकता फैलाने की अपील की है.


पोक्सो कानून और आईटी कानून में हो बदलाव


चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मसले पर राज्यसभा की एक समिति ने गहरी चिंता जताते हुए सरकार से इसके ख़िलाफ़ कठोर क़दम उठाने और इसपर लगाम लगाने के लिए पोक्सो क़ानून ,2012 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून यानि आईटी क़ानून, 2000 में परिवर्तन की सिफ़ारिश की है. साथ ही, समिति ने भारतीय दंड संहिता में भी बदलाव की सिफ़ारिश की है. समिति ने पोक्सो क़ानून के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी का दायरा बढ़ाने की बात कही है. समिति का मानना है कि किसी बच्चे की नग्न या अर्धनग्न तस्वीर या वीडियो भी अश्लिलता की श्रेणी में आ सकती है अगर उस तस्वीर या वीडियो से यौन शोषण की मुद्रा का आभास होता होता है.


इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून में दो बदलाव करने की अनुशंसा की गई है. पहली अनुशंसा कानून में एक धारा 67बी जोड़ने की है जो ऐसी अश्लील चीजों को या तो बच्चों को दिखाई गई या फिर ऐसी चीज़ों को दूसरों को भेजा गया. समिति ने इस क़ानून में बदलाव कर केंद्र सरकार को ये शक्ति देने की सिफारिश की है जिससे चाइल्ड पोर्नोग्राफी दिखाने वाले सभी वेबसाइट को बंद किया जा सके.


'मन की बात' में उठाएं ये मसला


समिति ने इस गम्भीर विषय पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहल करने का आग्रह किया है. समिति ने इच्छा जताई है कि अपने बेहद लोकप्रिय मासिक प्रोग्राम 'मन की बात' के आने वाले कार्यक्रम में पीएम इस समस्या को देश के सामने रखें. समिति ने कहा है कि पीएम देशवासियों से इससे निपटने के सुझाव भी मांगें. इसके अलावा पीएम मोदी से इस मुद्दे पर एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन बनाने की पहल करने का भी आग्रह किया गया है. ठीक वैसे ही जैसे अंतरराष्ट्रीय सोलर एलाइंस में किया गया था. समिति के मुताबिक़ पीएम इसकी शुरुआत जी-20 या संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर कर सकते हैं.


पिछले महीने बनी थी समिति


उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए पिछले महीने इस अल्पकालिक समिति का गठन किया था. कांग्रेस नेता जयराम रमेश की अध्यक्षता में बनी इस समिति में अध्यक्ष समेत कुल 14 सदस्य थे. इन सदस्यों में जया बच्चन और रूपा गांगुली जैसे केवल राज्यसभा के सांसद शामिल किए गए थे. समिति ने अपनी समीक्षा के दौरान सरकारी मंत्रालयों के अलावा फेसबुक, ट्विटर, गूगल और शेयरचैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के प्रतिनिधियों से भी चर्चा की. समिति की रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा में पेश की गई.


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