संसदीय समिति ने ओला और उबर से पूछा, 'क्या महिला-पुरुष देखकर बढ़ाया जाता है किराया'
संसदीय समिति ने गुरुवार को ओला और उबर से पूछा क्या स्त्री-पुरुष देखकर, समय और यात्रियों के मोबाइल में बचे बैट्री पावर के हिसाब से किराया निर्धारित किया जाता है.
नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने कैब सेवा प्रदाता कंपनियों ओला और उबर के वरिष्ठ पदाधिकारियों से गुरुवार को सवाल किया कि क्या स्त्री-पुरुष देखकर, समय और यात्रियों के मोबाइल में बचे बैट्री पावर के हिसाब से किराया निर्धारित किया जाता है.
डेटा सुरक्षा विधेयक-2019 से संबंधित संसद की संयुक्त समिति की अध्यक्ष मीनाक्षी लेखी ने बताया कि समिति में शामिल सभी दलों के सदस्यों ने किराया तय करने की प्रणाली, चीन के निवेश और डाटा के आदान-प्रदान के संदर्भ में सवाल किए. उनके मुताबिक, समिति ने दोनों कंपनियों से हलफनामे के तौर पर लिखित जवाब देने को कहा है.
कंपनियों ने कहा- उनके पास खुद की कारे हैं लेखी ने कहा, ‘‘सदस्यों ने किराये बढ़ने के संदर्भ में मुख्य रूप से सवाल किए. उन्होंने पूछा कि क्या स्त्री-पुरूष, समय और यात्रियों के मोबाइल में बचे बैट्री पावर के हिसाब किराया निर्धारित की जाता है.’’ उन्होंने कहा कि ओला और उबर से उनकी अपनी कार होने के संदर्भ में सवाल किया जिस पर दोनों के पदाधिकारियों ने बताया कि उनके पास अपनी कारें हैं.
सूत्रों का कहना है कि उबर के पदाधिकारी ने बताया कि कंपनी के पास करीब 4000 कारें हैं. इस साल के आखिर में कार ड्राइवरों के सुपुर्द कर दी जाएगीं और उबर सिर्फ कैब सेवा प्रदाता बना रहेगा. गौरतलब है की समिति ने कैब सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के साथ ही टेलीकॉम कंपनियों के प्रतिनिधयों को भी पेश होने के लिये कहा था जिस पर बुधवार रिलायंस जियो इंफोकॉम और जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड के प्रतिनिधी पेश हुये थे.
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