केंद्र सरकार के साथ चल रही तनातनी के बीच ट्विटर के अधिकारी शुक्रवार को संसदीय स्थायी समिति के सामने पेश होंगे. समिति की बैठक का एजेंडा तो नागरिक अधिकार और महिला सुरक्षा के आलोक में सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरुपयोग है लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए मीटिंग काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारी भी शरीक होंगे.गौरतलब है कि ये मीटिंग शुक्रवार शाम 4 बजे संसद भवन में बुलाई गई है.
ट्विटर और मोदी सरकार के बीच IT नियमों के पालन को लेकर तनातनी जारी
पिछले कुछ दिनों से ट्विटर और मोदी सरकार के बीच नए आईटी नियमों के पालन को लेकर तक़रार लगातार जारी है. ट्विटर द्वारा नए नियमों के पालन में हो रही देरी और हीलाहवाली के चलते सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय ने इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म को मिले थर्ड पार्टी का दर्जा ही समाप्त कर दिया है. इसके साथ ही ट्विटर को थर्ड पार्टी होने के नाते क़ानूनी हस्तक्षेप से मिली छूट भी वापस ले ली गई है.
बता दें कि थर्ड पार्टी दर्ज़े का मतलब होता है ट्विटर पर किसी भी यूजर की ओर से किए गए पोस्ट की ज़िम्मेदारी ट्विटर की नहीं होती थी. छूट हटने के साथ ही फेक न्यूज फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने ट्विटर के अधिकारियों पर मामला भी दर्ज किया है.
समिति के अध्यक्ष शशि थरूर को निशिकांत दुबे के बीच भी मतभेद
इसके पहले इस स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर और इसके सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बीच भी तकरार हो चुकी है. निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक पत्र लिखकर थरूर को समिति के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी. दुबे का आरोप था कि थरूर कांग्रेस और राहुल गांधी का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए स्थायी समिति का दुरुपयोग कर रहे हैं. कथित टूलकिट के मसले पर भी शशि थरूर और सरकार के बीच बहस हुई थी जब थरूर ने इस मसले पर समिति का अध्यक्ष होने का हवाला देकर सीधा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जवाब मांग लिया था. थरूर का दावा था कि समिति का अध्यक्ष होने के नाते सरकार से जवाब मांगने का उन्हें अधिकार है.
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