नई दिल्ली: दिल्ली में बढ़ता ट्रैफिक सड़क व्यवस्था की कमर तोड़ रहा है. इस सच से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हर बाशिंदा लगभग रोज़ रूबरू होता है. इस समस्या पर समाधान सुझाने के लिए बैठी संसदीय समिति ने दिल्ली में सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट सुविधाएं बढ़ाने, गैर वाहन आवाजाही की सहूलियतों में इजाफा करने, पार्किंग के नियम सख्त करने और दिल्ली की सड़कों पर साइनबोर्ड सुविधाएं बेहतर बनाने की सिफारिश की है. इतना ही नहीं समिति ने लुटियन बंगलो ज़ोन में वीआईपी आवाजाही के लिए अगल सड़क के प्रावधान की सिफारिश भी की है.
राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश राज्यमंत्री आनंद शर्मा की अगुवाई वाली समिति ने संसद में पेश ताज़ा रिपोर्ट में कहा कि लुटियन दिल्ली के इलाके में कई महत्वपूर्ण लोग रहते हैं जो एनडीएमसी के क्षेत्र में आता है. मगर उनकी आवाजाही के लिए कोई अलग ट्रैफिक लेन नहीं है ताकि सामान्य ट्रैफिक प्रभावित न हो और जाम न लगे और सुरक्षा चिंताएं न हों. ऐसे में समिति सिफारिश करती है कि गृह मंत्रालय दिल्ली के परिवहन मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर इसके लिए प्रावधान करे ताकि महत्वपूर्ण लोगों की आवाजाही के कारण आम ट्रैफिक भी प्रभावित न हो.
ट्रैफिक नियम तोड़ने पर बढ़े बीमा प्रीमियम
समिति ने यातायात नियमों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए ट्रैफिक नियम तोड़ने पर बीमा प्रीमियम बढ़ाने की सिफारिश की है. समिति ने सरकार से बीमा नियमन प्राधिकरण से बात कर इस बारे में प्रावधान करने और सभी के मोबाइल नम्बर जुटाने की व्यवस्था करने को कहा है.
गलत साइन बोर्ड भी हैं ट्रैफिक की समस्या
समिति के मुताबिक सड़क पर साइनबोर्ड लगाए जाने में उचित नियमावली का अभाव और फुटपाथ पर साइनबोर्ड लगाए जाने के कारण वाहनों और पैदलयात्रियों के लिए परेशानी खड़ी होती है. समिति ने गृह मंत्रालय से पीडब्ल्यूडी के साथ तालमेल कर एक साइनबोर्ड नीति बनाने को कहा.
व्यापक पैमाने पर बने मल्टीलेवल पार्किंग
गृह मंत्रालय सम्बन्धी संसदीय समिति ने पार्किंग की जगह में कमी को यातायात समस्या का बड़ा कारण बताया. दिल्ली के विभिन्न इलाकों में मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का सुझाव दिया. साथ ही पार्किंग व्यवस्था में सुधार करने के लिए सड़कों की लेन में वाहन खड़ी करने की परंपरा रोकने को कहा है जिसके कारण यातायात प्रभावित होता है.
दस सालों में नहीं बढ़ी बसों की संख्या
संसदीय समिति ने दिल्ली में बीते एक दशक के दौरान बस फ्लीट में इजाफा न होने पर नाराजगी जताई जिसके कारण सार्वजनकि परिवहन प्रणाली का स्तर काफी सुधारा जा सकता है. समिति रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के ट्रांसपोर्ट फ्लीट में 1000 नॉन-एसी सीएनजी बसों को शामिल करने का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है. संसदीय समिति ने इस बात पर ज़ोर दिया कि 6000 बसों की ज़रूरत यदि पूरी हो जाती है तो इससे परिवहन की समस्या में काफी कमी आती.
आईटी आधारित हो ट्रैफिक प्रबंधन व्यवस्था
संसदीय समिति ने राजधानी दिल्ली में वाहनों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र इंटेलिजेंट ट्रैफिक मेनेजमेंट सिस्टम लागू करने की सिफारिश की. जिसमें सिग्नल मोडर्नाइज़ेशन पार्किंग एप्लिकेशन और पार्किंग गाइडेंस सिस्टम शामिल हो.
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