Parliamentary Committees: संसदीय स्थायी समितियों का मंगलवार (4 अक्टूबर) को पुनर्गठन किया गया. बड़े फेरबदल में कांग्रेस (Congress) ने (Home), आईटी (IT) पर संसदीय पैनल की अध्यक्षता खो दी है. वहीं तीसरी सबसे बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) को किसी भी पैनल की अध्यक्षता नहीं दी गई है. इसके अलावा एक बड़ा बदलाव ये भी हुआ है कि स्थाई समितियों की संख्या घटा दी गई है. अब 24 के मुकाबले केवल 22 स्थायी समितियां रहेंगी, जिसमें लोकसभा की 15 और राज्यसभा की 7 समितियां होंगी.
इससे पहले लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के पास भी एक समिति का अध्यक्ष पद था. लोकसभा में सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की समिति के अध्यक्ष थे. इसके अलावा समाजवादी पार्टी (SP) को किसी भी स्थाई समिति की अध्यक्षता नहीं दी गई है.
टीएमसी सांसद ने कसा तंज
टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने टीएमसी को किसी भी संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष पद नहीं दिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी, दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भी है, जिसे एक भी अध्यक्ष नहीं मिलता है. साथ ही, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी संसद समितियों की दो महत्वपूर्ण अध्यक्षता खो देती है. यह है न्यू इंडिया की कड़वी सच्चाई.
कांग्रेस को एक समिति की अध्यक्षता दी गई
संसदीय समितियों के पुनर्गठन के अनुसार बिहार बीजेपी के राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को शिक्षा, महिला, बाल-युवा और खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. लोकसभा सांसद राधा मोहन सिंह को रेलवे की संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. उत्तर प्रदेश से बीजेपी के राज्यसभा सांसद बृजलाल को गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़ी है स्थाई समिति का अध्यक्ष भी बदला गया है. पहले शशि थरूर इस समिति के अध्यक्ष थे, जबकि आप बीजेपी सांसद प्रताप राव जाधव को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. दरअसल, इस बात के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे कि संसदीय स्थायी समितियों का पुनर्गठन में इस बार बड़ा बदलाव हो सकता है. नए पुनर्गठन से प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने की उम्मीद पहले से ही जताई जा रही थी.
रोटेशन के हिसाब से फेरबदल
इन समितियों का गठन कुछ सालों के अतंराल पर होता है और अध्यक्ष पद रोटेशन के हिसाब से बदलता रहता है. हाल ही में सदन के नेता नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को लिखी चिट्ठी में कहा था कि संसदीय आवश्यकताओं के अनुरूप गृह मंत्रालय की समिति की अध्यक्षता हमेशा विपक्ष को ही दिया जाता है. खड़गे ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि उनके पत्र का उद्देश्य यह अनुरोध करना है कि इस बार भी गृह मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद कांग्रेस को दिया जाए.