Three Proposed Criminal Laws: तीन प्रस्तावित आपराधिक कानूनों पर विचार करने वाली संसदीय समिति ने कहा है कि ये कानून बहुप्रतीक्षित और बहुत जरूरी सुधार हैं जो कानूनी प्रणाली के सुचारू और पारदर्शी कामकाज के लिए जरूरी हैं. बीजेपी सदस्य बृज लाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की स्थायी समिति ने बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, हत्या और अप्राकृतिक यौन संबंध सहित अन्य से जुड़े प्रावधानों पर भी कई सिफारिशें की हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक अगस्त में लोकसभा में पेश किया था. इन विधेयकों को पड़ताल के लिए राज्यसभा सचिवालय के तहत आने वाली गृह मामलों की स्थायी समिति के पास भेजा गया था. समिति की रिपोर्ट शुक्रवार (10 नवंबर) को राज्यसभा को सौंपी गई.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह इस बात की सराहना करती है कि प्रस्तावित संहिता में कुछ अपवादों के साथ विवाहित महिलाओं के लिए यौन सहमति की उम्र 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है.
सामूहिक बलात्कार कानून में बदलाव का स्वागत
रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत सामूहिक बलात्कार कानून में बदलाव का स्वागत किया. हत्या के लिए दंड के मामले में, समिति ने कहा कि वह नोट करती है कि संहिता में सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश के अनुरूप धारा 101(2) के तहत अपराध के लिए एक नया प्रावधान शामिल है.
वैकल्पिक सजा के प्रावधान के मुद्दे पर ली जाएगी राय
समिति में धारा 101(2) के तहत आरोपी को 7 साल के कारावास की वैकल्पिक सजा के प्रावधान के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई. समिति ने सरकार से सिफारिश की कि इस धारा से 7 साल की सजा को हटाया जाए. समिति ने यह भी सिफारिश की कि इस संबंध में देश के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की राय ली जा सकती है.
नए कानून बनाने को 4 साल तक की गई गहन चर्चा
समिति ने आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधनों का मसौदा तैयार करने के व्यापक कार्य के लिए गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से किए गए प्रयास की सराहना की. वहीं, भारतीय विचार प्रक्रिया और भारतीय आत्मा को आत्मसात करने वाले नए कानून बनाने के लिए 4 साल गहन चर्चा की. समिति ने कहा कि देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था को लोगों की समकालीन आकांक्षाओं के अनुरूप बनाने के लिए इसकी व्यापक समीक्षा समय की मांग थी.