Nyaya Sanhita Bill: संसद की गृह मामलों संबंधी स्थायी समिति ने भारतीय न्याय प्रणाली पर प्रभाव डालने वाले तीन विधेयकों पर गुरुवार (24 अगस्त) को चर्चा शुरू की. ये तीन बिल न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 हैं. इसपर गृह सचिव अजय भल्ला ने प्रेजेंटेशन दिया. 


सूत्रों ने बताया कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की डीएमके के सांसद दयानिधि मारन ने बैठक के दौरान विधेयकों के हिंदी नामों पर अपनी असहमति जतायी. उन्होंने सुझाव दिया कि समिति को विभिन्न राज्यों के बार काउंसिल के सदस्यों के साथ विचार विमर्श करना चाहिए है. मारन ने इस बात का भी उल्लेख किया कि आपराधिक सुनवाई जिला स्तरीय कोर्ट में होती है. 


डीएमके ने क्या कहा?
सूत्रों ने बताया कि डीएमके नेता दयानिधि मारन ने  कहा कि समिति को राज्यों का दौरा करना चाहिए ताकि विभिन्न पक्षकारों के विचार सुन सके. इसका पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन जैसे कुछ विपक्षी सदस्यों ने समर्थन किया. 


बिल में क्या प्रवाधान है?
इन बिल में प्रस्तावित नये कानूनों में ‘मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या)’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रस्ताव किया गया है. साथ ही राजद्रोह कानून को समाप्त करने की बात कही गई है. इसमें भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का प्रस्ताव भी किया गया है.


केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने इन तीन विधेयकों पर संसद की गृह मामलों संबंधी स्थायी समिति के सामने प्रेजेंटेशन दिया.  वे 25 अगस्त और 26 अगस्त को भी इस पर प्रेजेंटेशन देंगे.


अगली बैठक कब होगी?
राज्यसभा सचिवालय के नोटिस के मुताबिक, इन विधेयकों पर गृह मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति की बैठक 24, 25 और 26 अगस्त को होनी है. बीजेपी के सांसद बृजलाल गृह संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं. 


अमित शाह ने पेश किया था बिल
गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोकसभा में इन तीनों विधेयकों को पेश किया था.  सदन ने शाह प्रस्ताव पर तीनों बिलों को संसदीय स्थायी समिति को भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी ताकि इन पर विचार-विमर्श हो सके. 


बाद में लोकसभा के संसदीय मामलों संबंधी बुलेटिन में कहा गया था कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को आगे विचार विमर्श करने के लिए गृह मामलों संबंधी स्थायी समिति को भेज दिया गया है. 


बुलेटिन में कहा गया है कि समिति को तीन महीने में रिपोर्ट देनी है. ऐसे में समिति के पास विधेयकों की पड़ताल करने और शीतकालीन सत्र में संसद को रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन महीने का समय है. 


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