नई दिल्ली: विपक्षी दलों की मांग के बावजूद भारत-चीन सीमा पर चल रही तनातनी पर चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति की बैठक नहीं बुलाई जाएगी. सूत्रों के मुताबिक़ फिलहाल बैठक बुलाने का कोई औचित्य नहीं है.


समिति से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीन का मसला बेहद संवेदनशील और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, लिहाज़ा इस पर कोई भी क़दम उठाने के पहले पूरी तरह सोच विचार होना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक कोरोना के चलते वैसे भी समिति की बैठकें नहीं हो पा रही हैं.


विपक्ष की ओर से विदेश मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की बैठक तुरंत बुलाने की मांग की गई है. कांग्रेस की ओर से पी. चिदंबरम ने इसकी मांग करते हुए कहा था कि सरकार को स्थिति साफ करनी चाहिए.


वहीं समिति के सदस्य और आरएसपी नेता एन के प्रेमचंद्रन ने भी तुरन्त समिति की बैठक बुलाने की मांग करते हुए कहा था कि बैठक में विदेश सचिव, रक्षा सचिव और अन्य अधिकारियों को बुलाया जाए. उनका कहना था कि सीमा के हालात के बारे सांसदों को तुरंत जानकारी दी जानी चाहिए.


हालांकि समिति के सूत्रों का कहना है कि इस मामले पर प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों को जानकारी दे चुके हैं. इस बैठक में सभी दलों के अध्यक्ष मौजूद थे. ऐसे में समिति की बैठक बुलाने का कोई औचित्य नहीं है.


समिति के अध्यक्ष और बीजेपी के सांसद पी पी चौधरी ने कहा कि इस विषय पर सभी दलों के नेताओं को बेतुके बयानों से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मामले पर किसी को भी राजनीति नहीं करनी चाहिए.


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