नई दिल्ली: 50 दिन बाद भारतीय रेल सेवाएं बहाल हो गई हैं. ट्रेनें पटरी पर लौट आई हैं. लोगों की यात्रा भी शुरू हो गई.अलग-अलग जगह, अलग-अलग राज्यों में फंसे लोग वापस से अपने अपने गंतव्य पर लौट रहे हैं. घर वापसी की उम्मीद और खुशी यात्रियों में झलक रही है. लेकिन संसाधन की व्यवस्था ना होने की वजह से यात्री बुरी तरह परेशान भी हैं.
अलग-अलग राज्यों से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रेने सुबह आठ बजे से पहुंचनी शुरू हो गई. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहली ट्रेन अहमदाबाद से दिल्ली पहुंची. इस ट्रेन के यात्री जैसे ही स्टेशन के बाहर निकले तो बड़ी संख्या में यात्री ऐसे थे जिनके पास कोई संसाधन नहीं था कि वह स्टेशन से अपने घर तक कैसे पहुंचे. स्टेशन के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होता हुआ दिखाई नहीं दिया. इसमें प्रशासन की बड़ी लापरवाही दिखी. कतारों में लोग स्टेशन के बाहर तो निकले लेकिन लोगों के बीच बिल्कुल भी दूरी नहीं थी.
स्टेशन के बाहर लोगों को संसाधन की व्यवस्था नहीं मिली. जिस वजह से लोग अपना सामान लिए स्टेशन के बाहर सड़क पर ही झुंड बना के खड़े हो गए. बहुत परिवार ऐसे भी है जिन के पास छोटे बच्चे है. बहुत यात्री ऐसे भी है जिनका घर दिल्ली में नहीं बल्कि दिल्ली से दूर अलग-अलग जगहों पर है. ऐसे लोगों की चिंता और मुश्किलें दोनों ही और बढ़ गई हैं.
जैसे तैसे कर के दूसरे राज्यों से दिल्ली तक तो पहुंच गए है लेकिन यहां से अपने घर तक जाने के लिए संसाधन ढूंढना इन लोगों के लिए बेहद ही मुश्किल हो रहा है. पहली ट्रेन आने के तकरीबन एक घंटे बाद दूसरी ट्रेन भी दिल्ली स्टेशन पहुंची. यह ट्रेन मुम्बई सेंट्रल से दिल्ली पहुंची. दोनों ही ट्रेन के यात्रियों के यहां पहुंचते ही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर अजमेरी गेट रोड पर लोगों का हुजूम लग गया.
हमने एक परिवार से बात की तो पता चला कि इस परिवार को यूपी के आगरा से तकरीबन 60 किलोमीटर आगे अपने गांव जाना है. अहमदाबाद से आने वाले यह परिवार दो महीने से काम ना होने की वजह से परेशान था. इस परिवार को मकान मालिक भी परेशान कर रहा था. जिस वजह से यह लोग अपने घर यूपी लौटना चाहते थे. ट्रेन बहाल होने के बाद यह परिवार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच गया लेकिन यहां से यूपी तक कैसे जाएंगे यह एक बड़ी चिंता है.
इस परिवार का कहना है कि हम लोग अहमदाबाद स्टेशन भी पैदल ही पहुंचे थे. सुबह 7 बजे निकले थे तो शाम चार बजे स्टेशन पहुंचे. 20 किलोमीटर चले थे. वहां पर प्रशासन ने बोला था कि आपको वहां वाहन मिलेगा घर जाने के लिए लेकिन यहां कुछ नहीं है. अब प्रशासन से ही पूछेंगे कि कैसे घर तक जाएं.
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