नई दिल्लीः विदेश में फंसे भारतीयों को लाने वाली फ्लाइट में 6 जून तक बीच की सीट में लोगों को बैठाने की इजाज़त वाले आदेश में बदलाव से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया है. याचिकाकर्ता ने मुंबई में एयर इंडिया के एक कर्मचारी की मौत का हवाला देते हुए कोर्ट से दोबारा विचार की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने कहा आपको जो कहना है, 2 जून को बॉम्बे हाई कोर्ट में कहें.


2 दिन पहले ही दिया था आदेश
25 मई को ईद की छुट्टी के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने DGCA और एयर इंडिया की तरफ से दाखिल अर्ज़ी पर सुनवाई की थी. दोनों ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें विदेश से भारतीयों को ले रही फ्लाइट में बीच की सीट खाली छोड़ने के लिए कहा गया था.


तब सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में तो हाई कोर्ट के आदेश को सही बताते हुए उसे बदलने से मना किया. लेकिन एयर इंडिया की तरफ से विमानों की कमी और टिकट खरीद चुके यात्रियों की परेशानी का हवाला देने पर 6 जून तक बीच की सीट में यात्रियों को बैठाने की इजाज़त दे दी.


सुप्रीम कोर्ट ने मामले में इससे ज़्यादा दखल देने से मना करते हुए उसे वापस बॉम्बे हाई कोर्ट भेज दिया था. कहा था कि 2 जून को होने वाली अगली सुनवाई में हाई कोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद उचित आदेश पारित करे. कोई भी कदम उठाते वक्त लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए.


आज क्या हुआ
याचिकाकर्ता पायलट देवेन कनानी ने सरकार से लोगों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उनका कहना था कि भरी हुई फ्लाइट से आ रहे लोग हर दिन बीमारी देश मे ला रहे हैं. उन्होंने मुंबई में कोरोना से एयर इंडिया के एक कर्मचारी की मौत का हवाला दिया.


इसका विरोध करते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “उस कर्मचारी का विदेश से आ रहे विमानों की हैंडलिंग में कोई रोल नहीं था. मुंबई खुद ही कोरोना का केंद्र बना हुआ है. कर्मचारी को कहीं बाहर से बीमारी हुई.“ मेहता ने आगे कहा, “हमने एक विशेषज्ञ कमिटी बनाई है जो विदेश से लोगों को लाने के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा के उपायों पर विचार कर रही है.“


इस पर 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, “हम मामला हाई कोर्ट वापस भेज चुके हैं. आप दोनों अपनी बातें वहीं रखें. हाई कोर्ट सभी बातों पर विचार कर के उचित आदेश देगा.“


सुनवाई के अंत में याचिकाकर्ता ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से अपना पिछला आदेश वापस लेने की मांग की. लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा, “हमने ही सरकार से लोगों को वापस लाने के लिए कहा था. अब उनसे जो भी गलती हो गई है, उसे कुछ दिन चलने देना ज़रूरी है. नहीं तो लोगों की परेशानी और बढ़ जाएगी.“