पीएम मोदी के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' पर उठे सवाल
बाबा रामदेव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद करीबी माना जाता है. ऐसे में रामदेव की कंपनी पातंजलि के मेगा फूड पार्क के रद्द होने से मोदी के दावे पर सवाल खड़े हो गए थे. ग्रेटर नोएडा में 6 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले फूड पार्क से रामदेव ने हाथ खींच लिए थे, क्योंकि योगी सरकार ने प्रस्तावित फूड पार्क को रद्द करने का नोटिस दे दिया था.
पतंजलि ने योगी सरकार पर लगाए कई आरोप
रामदेव की कंपनी पतंजलि ने योगी सरकार के इस फैसले पर निशाना भी साधा था. पतंजलि ने आरोप लगाया था, "पतंजलि हर्बल एंड मेगा फ़ूड पार्क" नाम के टाइटल को एनओसी देने के नाम पर योगी सरकार एक साल से ज्यादा समय से टालमटोल कर रही है, जिससे नाराज होकर अब पतंजलि ने फूड पार्क को यूपी से बाहर कहीं शिफ्ट करने का निर्णय लिया है.’’
क्यों अटका रहा था मामला?
गौरतलब है कि किसी भी कंपनी को मंत्रालय से फूड पार्क के लिए ग्रांट या अनुदान राशि के लिए जमीन का टाइटल, कंपनी का टाइटल और बैंक लोन एनओसी या बैंक के खाते की क्लोजर रिपोर्ट चाहिए होती है. पतंजलि को भी इस मामले में 15 जून तक क्लोजर रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया था, लेकिन योगी सरकार की तरफ से पतंजलि को जमीन का टाइटल नहीं मिला.
आपको बता दें कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की तरफ से पतंजलि को दो बार 6-6 महीने का एक्सटेंशन मिल चुका था लेकिन यूपी सरकार की तरफ से मामला लटकाया जाता रहा.
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