(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Patanjali: 'सभी औषधियां निर्धारित मानकों के अनुरूप', 5 दवाओं की रोक पर पतंजलि का दावा
पतंजलि ने दावा किया कि चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार किसी ने किया तो वह पतंजलि संस्थान ने किया है.
Patanjali News: उत्तराखंड सरकार की आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी ने भ्रामक विज्ञापनों का हवाला देते हुए पतंजलि कंपनी की दिव्य फार्मेसी को 5 दवाओं का उत्पादन रोकने को कहा था. इस मामले पर गुरुवार (10 नवंबर) को पतंजलि की ओर सफाई देते हुए बयान जारी किया गया है. पतंजलि ने दावा किया कि, "हमारी कंपनी जितने भी उत्पाद व औषधियां बनाती हैं, निर्धारित मानकों के अनुरूप सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं."
कंपनी ने कहा कि, "पतंजलि की औषध निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है. जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रिक्लिनिकल व क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है, उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा. जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया."
पतंजलि की ओर से दी गई सफाई
पतंजलि ने आगे कहा कि, "चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार किसी ने किया है तो वह है पतंजलि संस्थान. मीडिया के तहत जो जानकारी मिली है इससे यह स्पष्ट होता है कि इसमें आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफियाओं की संलिप्तता दिखती है. हम किसी भी तरह इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने देंगे. इस षड्यंत्र में सम्मिलित आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा उत्तराखंड ने विभागीय दायित्व को दरकिनार करके षड्यंत्रपूर्वक जिस पत्र को लिखकर 09.11.2022 को मीडिया में प्रायोजित ढंग से प्रसारित किया, उसको अभी तक पतंजलि संस्थान को किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं कराया गया है."
"कोई पत्र या सूचना उपलब्ध नहीं की गई"
कंपनी ने कहा कि, "विभागीय स्तर पर सम्पर्क करने पर भी अभी तक कोई पत्र या सूचना उपलब्ध नहीं की गई है. मीडिया के जरिए जिस ‘भ्रामक विज्ञापन’ की बात की जा रही है, उक्त संदर्भ में पतंजलि की ओर से लाइसेन्स अधिकारी, देहरादून, उत्तराखंड को पूर्व में ही दिनांक 30.09.2022 को उत्तर दिया जा चुका है. लेकिन अब उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए मनमाने ढंग से एकतरफा कार्यवाही करने की सूचना मीडिया से प्राप्त हुई है."
पतंजलि ने आगे कहा कि, "इस संदर्भ में या तो विभाग अपनी गलती को सुधार कर जो व्यक्ति इस षड्यंत्र में सम्मिलित है, उस पर उचित कार्यवाही करे अन्यथा पतंजलि संस्थान को इससे जो संस्थागत हानि हुई है उसकी भरपाई सहित इस षड्यंत्र के जिम्मेदार व्यक्तियों को आपराधिक कृत्य के लिए दण्डित करने हेतु संस्था कानूनी कार्यवाही करेगी."
क्या है मामला?
उत्तराखंड की आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी ने दिव्य फार्मेसी की बीपीग्रिट, मधुग्रिट, थाइरोग्रिट, लिपिडोम और आईग्रिट गोल्ड दवाओं का उत्पादन रोकने के लिए कहा था. केरल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. केवी बाबू की ओर से इस साल की शुरुआत में जुलाई में दायर एक शिकायत के जवाब में कार्रवाई की गई थी. डॉक्टर केवी बाबू ने 11 अक्टूबर को ईमेल के माध्यम से राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) को एक और शिकायत भेजी थी.
भ्रामक विज्ञापनों का हवाला देते हुए, प्राधिकरण ने पतंजलि (Patanjali) को फॉर्मूलेशन शीट और लेबल में बदलाव करते हुए पांच दवाओं के लिए फिर से मंजूरी लेने को कहा था. प्राधिकरण ने कहा कि कंपनी संशोधन के लिए मंजूरी मिलने के बाद ही उत्पादन फिर से शुरू कर सकती है.
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